अपेक्षा

अपेक्षा

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कमरे में छाए सन्नाटे को तोड़ते हुए विनोद बोले " राहुलजी स्निग्धा को डॉक्टर बनाने के लिए मैंने अपना सारा पैसा खर्च कर दिया है मेरा बेटा विनय अभी छोटा है मैं चाहता हूँ कि जब तक विनय अपने पैरों पर खड़ा नही हो जाता

तब तक स्निग्धा अपनी आधी तनख्वाह हमें दे।"

 राहुल बोले "पर विनोदजी हमारी बिरादरी में तो बेटी के यहाँ का पानी तक नही पीते और आप आधी तनख्वाह की बात कर रहे है।"

 विनोद बोले"वो समय और था तब लड़कियों को पढाया लिखाया नही जाता था तो उनसे अपेक्षा कैसी पर अब लड़कियों की परवरिश भी लड़को की तरह की जाती है तो आवश्यकता पढ़ने पर उनसे अपेक्षा क्यों नहीं रखी जा सकती।"

 राहुल बोले" देखिए आप दान दहेज कुछ दे नहीं रहे और उसपर ये शर्त मैं तो केवल अपने बेटे की खुशी के लिए यहाँ आया था क्योंकि वह आपकी बेटी से प्यार करता है वरना लड़कीवालों की लाइन लगी है। अब आप खुद ही सोच लीजिये कि क्या आप अपनी बेटी की खुशियों की कीमत पर अपने बेटे का भविष्य बनाना चाहेंगे।"

विनोद कातर स्वर में बोले"तो क्या मेरे बेटे के लिए देखे सुनहरे सपनें अधूरे ही रह जाएंगे?""आपके सुनहरे सपनें जरूर पूरे होंगे मैं और स्निग्धा दोनों मिलकर आपके सपनें पूरे करेंगे क्योंकि शादी के बाद जैसे मेरे उत्तरदायित्व स्निग्धा के है वैसे ही इसके उत्तरदायित्व मेरे भी है।"स्निग्धा के साथ कमरे में आते हुए रवि ने कहा।


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