याद
याद
विशेष के पिताजी के उठावने के बाद उसके चाचा ने पूछा "बेटा भाईसाहब का तेहरवीं का कार्यक्रम कब रखेंगे ?"
विशेष बोला"चाचाजी मैं सोच रहा था, कि हम मृत्युभोज का खाना नहीं रखेंगे ।"
चाचाजी ने विस्मय से कहा"ये तुम क्या कह रहे हो बेटा जाति वाले हमें नाम धरेंगे और भाई साहब की आत्मा को सन्तोष भी नही मिलेगा तुम जरूर पैसा बचाने के लिए ऐसा कर रहे हो अरे कौन सा तुम्हारा पैसा खर्च होगा भाई साहब इतना पैसा तो छोड़ गए है।"
विशेष बोला"चाचाजी लोगों का क्या वो तो कुछ भी कहते रहते है और मैं मृत्यु भोज का खाना न रखकर पैसे बचाने की बात नही सोच रहा बल्की ये सोच रहा हूँ ,कि हमारे गाँव के हायर सेंकडरी स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त क्लास रूम नही है क्यो न पिताजी की याद में दो रूम बनवा दूँ ताकि उनकी आत्मा को वास्तविक शांति मिले और लोग उन्हें हमेशा याद रखें।"