कठपुतली

कठपुतली

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जर्जर काया को निर्देशित करते हुए मन ने कहा- "चलो उठो काम में जुट जाओ आलस्य मत करो वर्ना जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाओगे।"

काया कराहते हुए हताश स्वर में बोली- "तुम तो केवल सूत्रधार रहे मेरी इच्छा-अनिच्छा, मेरे सामर्थ्य की परवाह किए बिना तुम मुझे कठपुतली की तरह नचाते रहे पर अब मुझमें तुम्हारी आज्ञा का पालन करने का सामर्थ्य नहीं रहा है।"


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