सोच

सोच

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युक्ति मोबाईल पर अपनी भाभी रश्मि से अपना दर्द बांटते हुए कह रही थी"भाभी मैं तो अकेले बेटे ,घर और नौकरी को मैनेज करते-करते थक गई हूँ।"

रश्मि ने कहा"पर अभी तो ट्रांसफर हुए थे तुमने क्यों नही करवाया ?"

युक्ति भोलेपन का नाटक करते हुए बोली" हाँ मैंने सोचा तो था पर मेरी सीनियरटी लेप्स हो जाती और फिर इनका काम तो यहाँ से ऑनलाइन हो ही जाता है ।"

रश्मि बोली"अगर मैंने भी यही सोचकर ट्रांसफर नहीं लिया होता तो वहाँ मैं अकेली परेशान होती रहती और यहाँ मां बाबूजी और ये कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है और मुझे लगता है कि परिवार हर चीज से ऊपर होता है और आज तुम जो कष्ट उठा रही हो वही कष्ट तुम्हारी सास ने भी देखे होंगे वो भी तो जॉब करती थी और आज तुम उन्हें उनके बेटे से दूर रख रही हो आज मम्मीजी के पास उनका कॉल आया था वो बता रही थी कि कैसे तुम उनके ऑपरेशन के वक्त भी उन्हें छोड़कर चली आई तुम्हारे कष्ट की वजह तुम्हारी स्वार्थी सोच है कि तुम अपने सास-ससुर के साथ रहना नही चाहती।"


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