खुशी

खुशी

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ह्रदयाघात के कारण सुबह -सुबह रमादेवी का देहांत हो गया सभी रिश्तेदारों को खबर की जाने लगी शहर में ही रहने वाली उनकी बेटी भी तुरन्त आ गई और मां के दाह संस्कार के बाद मां की अलमारी की चाबी खुद रख ली । 

उठावने के बाद उसने अलमारी खोली और उसमें रखी साड़ियां ,गहने आदि बटोरने लगी।

रिश्ते की महिलाएं बहू से बोली"ये क्या बहू तुम इस घर की बहू हो तुमने जी जान से अपनी सास की सेवा की उनकी अलमारी की चाबी पर तुम्हारा हक था।"

बहू शांति से बोली"यदि दीदी को मम्मी की कुछ चीजें ले जाने से खुशी मिलती है तो ठीक है उन्हें ले जाने दीजिए मुझे तो केवल रिश्ते निभाने में खुशी मिलती है ,क्योंकि आज मेरे द्वारा कहा हुआ एक भी शब्द कई रिश्ते बिखेर सकता है।"

     


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