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Arun Gode

Romance

4  

Arun Gode

Romance

अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता

5 mins
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मनोज साधारण कसबे का लडका जीवन में उचा ध्येय रखकर गांव के कनिष्ठ महाविद्यालय में न पढने का फैसला करता है. सभी वर्गमित्र शालांत परिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गांव के कनिष्ठ महाविद्यालय पढने लगते है. लेकिन मनोज जिला के कॉलेज में दाखला लेता है. कमजोर आर्थीक परिस्थिति के कारण वो रोजाना कॉलेज में गांव से जाना-आना करता है. लेकीन रेल यातायात सुविधाजनक नहीं होने से उसका बहुत समय बर्बाद होता था. कुछ पाने के लिए वह कडी मेहनत कर रहा था. कुछ करने के जुनुन में वह सब कुछ सह रहा था. मेहनत और एकाग्रता देखकर वर्गमित्रों को उससे कॉफी उम्मीद थी.

    वर्गमित्र माया बहुत बारीकी से मनोज को निहार रही थी. शायद उसे उसके प्रति सहानुभुति हो गई थी.मनोज अपने जुनुन के कारण माया की तरफ ध्यान नहीं देता था. लेकिन वह शायद उसकी दिवानी हो हई थी. सायंस के प्रॉटिकलस में जब कभी- कभी, साथ-साथ प्रॉटिकल किया करते थे. तो हलकी-पुलकी बातचित में दोनों की नजरे आपस में उलझ जाती थी. उसने कुछ करने का ठान लेने के कारण इन सब बातों में अपना समय बर्बाद नहीं करता था. लेकिन माया को पहिली नजर में प्यार हो चुका बारावी में सभी अपना कॅरिअर को देखते हुए कॉफी गंभीर हो चुके थी.लेकिन माया ने मनोज को दिल देने के कारण वह अपने नजरे और गतिविधीयों से मनोज को जताने का प्रयास करती थी. वह भी कॅरिअर बनाने के लिए जी-जान से जुटी थी.

   लेकिन मनोज की हालत दिनों- दिन अती परिश्रम के कारण ढलते जा रही थी. बारावी की परिक्षा के कुछ्ही माह पहिले उसे बिच- बिच में बुखार आना- जाना चालु था. लेकिन जुनुन और नया खुन होने के कारण वह अपने स्वास्थ के तरफ ध्यान नहीं दे रहा था. उसका नुकसान उसे गंभीर रुप से परिक्षा के पहिले और दौरान बिमार रहने से हुआ था. एक समय ऐसा आया कि इस परिक्षा न देते हुए अगले साल देगें ऐसा विचार मन और दिमाग में घुमने लगा था. अगर ऐसा करता है तो उसके गांव के मित्र मजाक उडायें बैगर नहीं रह सकते थे. शायद कहते या ताने मारते, बडा तीर मारने जिल्हे में पढने गया था. देखो परिक्षा पास होने की छोडो, बैठ भी नहीं सका. कुछ साथी मित्र कहे रहे थे. तेरी तैयारी तो हो चुकी है. थोडीसी हिम्मत जुटा कर परिक्षा दे दे. तु अच्छे अंक से पास हो जाऐगां !. तुझे आसानी से इंजिनिरिंग में प्रवेश मिल जाएगां !. उसने मन बनाकर परिक्षा देने का सोच लिया था. लेकिन जैसे- जैसे समय कट रहा था. उसकी अंदरुनी हालत बिग़ड रही थी. किसी तरह उसने उस परिक्षा को खत्म किया था. परिक्षा के तुरंत बाद उसे खुन की उलटीयां होने लगी. बिमारी का सही निदान व इलाज न होने के कारण बिमारी ने जोर पकड लिया था. बाद में बडे अस्पताल में दिखाया गया.टेस्ट करने पर पता चला की उसे क्षय रोग हुआ था . इलाज कराने के बाद ठिक तो हो गया था.लेकिन डॉक्टर ने साल भर नियमित दवाईयां लेने और ज्यादा परिश्रम न करने की सलाह दि थी. अगर स्वास्थ ठिक रहा तो ही जीवन में कुछ कर पाने की अब उम्मीद बची थी.

     बारावी का नतीजा उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आने से वो बहुत नाराज हुआ था. बहुत कोशिश बाद भी किसी इंजिनिरिंग कॉलेज , पॉलीटेकनीक में प्रवेश नहीं मिला था.फिर हताश हो कर सायंस कॉलेज में प्रवेश लिया.बिमारी और सपने चकनाचुर होने के कारण पढाई दिल नहीं लग रहा था. सायंस कॉलेज में उसके साथ कुछ गांव ,नये-पुराने मित्र और माया भी थी. माया मनोज को देखकर कॉफी खुश थी. लेकिन ये महाशय अपने ही गम में डुबे थे. उस गम और बिमारी से मनोज बाहर नहीं निकल पा रहा था. वो कैसे तो भी समय काट रहा था.  स्वास्थ के कारण पढाई के तरफ ध्यान न देने से प्रथम वर्ष में फैल हुआ.परिवार और दोस्तोंने राय थी कि वो सायंस पढने के योग्य नहीं है. इससे वो बहुत आहत हुआ था.अभी स्वास्थ कॉफी ठिक होने के कारण सायंस में ही पदवी हासिल करके ही कुछ जीवन में हासिल कर सकते है. ये सोच के दुबारा सायंस में प्रवेश लिया था. मित्रगण नाकामी के कारण जगह-जगह उसकी हंसी उडाते थे. वो इसे कडवी दवाई समझकर पी रहा था. लेकिन माया के दिल में अभी भी प्रेम की आग जल रही थी.शायद उसे उसके काबिलियत पर अभी भी भरोसा था. लेकिन मनोज खुदही चाहते हुए भी अपने आपको दूर रख रहा था. मनोज अगले साल सायंस के द्वितीय व माया अंतिम वर्ष में पास होकर चले गये थे. दोनों अपना- अपना कॅरिअर के साथ कुछ थोडा बहुत इश्क भी लढाने के मोके ढूंढते थे.

   वर्गमैत्रीन अर्चाना भी मनोज के करीब आई थी. उसे भी पहली नजर वाला प्रेम हुआ था. इस चक्कर में दोनों –तिनों में कुछ दुविधायें थी.माया अंत में सायंस में स्नातक होकर चली गई थी. मनोज पहिले से ही अपना कॅरिअर चौपट कर चुका था. इसलिए अभी इन सब बातों से दूर रहना चाहता था. लेकिन दोनों –तीनों अपने तरफ से प्रयास जरुर कर रहे थे.लेकिन उन दोनों को यह विश्वास हो गया था कि मनोज मुझ से नहीं उससे प्यार करता है. यह भ्रम मनोज ने कभी भी दूर नहीं किया था. उसको दोनों के प्रति सच्चा प्रेम था. लेकिन समय उसके अनुकुल नहीं था. उन दोनों को यकिन था कि वो प्रेम तो करता है. लेकिन किसी मजबुरी के कारण उजागर नहीं करना चाहता था. शायद पहले अपना कॅरिअर बनाना चाहता हो. उन्होने पुरी उम्मीद तो नहीं छोडी थी. मनोज स्नातक होने के बाद स्नातकोत्तर के लिए बडे शहर चले गया था. उस जमाने में संपर्क करने लिए मोबाईल नही थे. आज की तरह लडके-लडकी के संबंध खुले नहीं थे. समाज में बहुत बंधन थे. दो प्रेम करनेवाले प्रेमियों को अपने भावनाओं को घुट-घुट कर दबाना पडता था. समाज में जो प्रचलित व्यवस्था थी. उसी का पालन करके जीवनसाथी को चुनना पडता था.शादी के बाद उस अजान लडका-लडकी को एक दूसरे को समझते हुए अपना संसार चलाना पड़ता है।


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