अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
आज शॉपिंग के लिए निकले, 10-11 साल का लड़का मेले गंदे कपड़ों में,पीछे ही लग गया," साहब, कुछ दे दीजिए दिन भर से भूखा हूं।"
मैं तो मुंह घुमाकर आगे बढ़ गई,जानती थी,विपुल को,बिना कुछ दिए आगे नहीं बढ़ेंगे।गुस्से के मारे मेरा दिमाग गरम हो रहा था
"अरे चलो भी,कितनो की मदद करें ?"
मैं एक हिकारत की नजर डाले, आगे बढ़ गई।
हम बाहर निकले कार में सब रख कर मैं मुड़ी, मेरा दुपट्टा किसी ने खींचा,"मेरा पर्स !
मैं दौड़ी।
वह गायब हो चुका था। वही लड़का मैले कुचैले कपड़ों वाला
"दादा,वो..वो दीदी का पर्स..मैने उसको ऐसी टंगड़ी मारी की बच्चू 4 दिन तो घुटने सेकेगा।"
मैं शर्मिंदा थी,वह मेरी ओर मुड़ा," लीजिए,दीदी।"