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MAHENDRA CHAWDA

Tragedy

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MAHENDRA CHAWDA

Tragedy

" अंधविश्वास...."

" अंधविश्वास...."

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टप्पू सिंह जी अपने गाँव के बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति थें। एक बार की बात है, वे सपरिवार किसी करीबी रिश्तेदार के यहाँ शादी में शरीक होने के लिए शहर जाते हैं। कुछ दिनों बाद गाँव लौटते है तो मालूम चलता है कि उनके यहाँ तो चोरी हो चुकी है।

टप्पू सिंह जी अब चोर का पता लगाने के लिए जी-तोड़ मेहनत और कोशिश करते हैं। तरह-तरह से जाँच-पड़ताल करते है, लेकिन सब का सब व्यर्थ जाता है। टप्पू सिंह जी के आगे-पीछे घूमने वाले सभी लोग अपनी-अपनी तरह से सलाह-मशवरा देते हैं। लेकिन चोर का कोई सुराख नहीं मिल पाता है। इसी दौरान उनका एक शुभचिंतक उन्हें बोलता है :-

“ टप्प-सा यहाँ से 300 किमी दूर के एक गाँव में झाड़फूंक करने वाला एक भोपा रहता है। वो अपनी सिद्धियों से चोर का पता लगा लेता है। 

 टप्प-सा के जेहन में ये बात जम जाती है। वो उसी शुभचिंतक को भोपा को लाने के लिए भेजता है। वो हितैषी उसके गाँव पहुंचकर कार टैक्सी से उस भोपा को टप्प-सा के यहाँ लाता है। कार से लाने-ले जाने के अलावा मेहनताने के रूप में 5000 रूपए तय होते है। भोपा कुछ पूजन सामग्री मंगवाकर एक अनुष्ठान करता है। फिर वो चोर का पता कुछ इस तरह से बताता है :-    

 “ चोरी करने वाला कोई गाँव का ही आदमी है। उसने चोरी का माल किसी अन्य गाँव में ले जाकर छुपा दिया है। अभी उसके ग्रह मजबूत हैं, इसलिए वो तुरंत पकड़ में नहीं आ पाएगा। केवल साल भर ठहरो। मेरे किये अनुष्ठान का असर ये होगा कि जल्द ही उसे झटका मिलेगा। फिर वो अपने-आप ही उस चोरी के सामान को वापस छोड़कर चला जाएगा। साल भर में सामान वापस मिलने की गारंटी देता हूं। ”

  इंतज़ार-इंतज़ार करते पूरा साल बीत जाता है। लेकिन कुछ नहीं होता है।  

  ग्रामीण भारत में भोलीभाली जनता को लूटने के लिए इस तरह की घटनाओं का घटित होना कोई नई बात नहीं है।

          

   


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