" ट्रीट....."
" ट्रीट....."
राघव किसी बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है। राघव आज रविवार होने के कारण घर पर छुट्टी मना रहा था। तभी फ़ोन की घंटी बजती है। फ़ोन उठाता है तो सामने से कॉलोनी की सोसायटी का गार्ड बोल रहा होता है। वो राघव को बताता है कि कुछ ही देर पहले एक तेज़ गति की कार किसी स्कूटर पर जा रहे बुजुर्ग दंपति को टक्कर मारते हुए गुज़री है। टक्कर लगने से उन दोनों को काफ़ी चोट आयी है। राघव तुरंत ही घटनास्थल पर पहुँचता है और एम्बुलेंस को फ़ोन लगाता है। एम्बुलेंस आती है और उन्हें अस्पताल लेकर जाती है। समय पर एम्बुलेंस आने से उनका समय पर ईलाज शुरू हो जाता है।
अगले दिन वो अपने ऑफिस पहुँचता है। वहाँ उसे मालूम चलता है कि उसके बॉस दो-तीन के अवकाश पर रहेंगे। वजह होती है कि बॉस के चाचा-चाची दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण अस्पताल में हैं। शाम को ऑफिस से छूटने के बाद वो किसी ऑफिसियल कार्य के चलते बॉस से मिलने अस्पताल में पहुँचता है। वहाँ उसे ध्यान पड़ता है कि ये तो वो ही दंपति है, जिनका कल उसकी कॉलोनी के सामने एक्सीडेंट हो गया था। बॉस के चाचा-चाची भी उसे देखते ही पहचान लेते है। ये सुनते ही बॉस को अत्यंत ही ख़ुशी और गर्व की अनुभूति होती है।
कुछ ही दिनों बाद बॉस उसे सम्मानित करते हुए पूरे स्टाफ को ट्रीट देते है।
