अकेलापन
अकेलापन
इंसान की जिंदगी में न जाने कितनी ऐसी परिस्थितियां होती हैं जो परेशान करने के लिए बहुत होती हैं और चाहकर हम अपने आपको चिंता से वंचित नहीं कर सकते हैं।
चिंतित होना एक हिस्सा बन चुका है जिंदगी का और जाहिर है कि हम चिंता में अकेलेपन की इच्छा रखते हैं लेकिन वो अकेलापन हमें खुद को कुरेद कर जख्म देता है। बयां है मेरा एक अकेलापन का किस्सा। मैं 12 वीं कक्षा के बाद दबंग स्टार हो गया और बड़ा आदमी बनने के चक्कर में पढ़ाई छोड़ दी।
अब घर की हालत ऐसी थी कि अगर अचानक पांच हजार रुपए चाहिए होता है तो किसी रीच आदमी के पास जाना पड़ता है ताकि सुद पर चुका सके।
दो महीने मेंने गुजार दिए और कॉलेज का फॉर्म नहीं भरवाया। एक रात नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं चिंतित था, सोच रहा था कि मुझे अब आगे क्या करना है ।
मेरा हर सवाल एक ही जवाब पर अटक जाता कि पढ़ाई करनी है।
चिंता का विषय था और खुद को संभालना था , तो मैं अकेलेपन के लिए हमारे खेत में चला गया। जहां एक मकान है और पानी का टांका भी है ।
सुबह 6 बजे निकला और शाम को 6 बजे घर आया। इस बारह घंटे के समय में, मैं सिर्फ चिंतित था और सोच रहा था। मुझे खुद को संभालना असम्भव सा लगा तो कुछ अनहोनी करने की भी सोची।
लेकिन कड़ी मशकत के बाद खुद को संभाल लिया और घर आ गया और कॉलेज का फॉर्म भरने के लिए पापा से बात की।
तो पापा ने कहा - " बेटा"- अकेलापन यही सिखाता है, बस मुझे खुशी है कि तू वापस लौट आया।
तो मैं समझा की जिंदगी के हर चिंतित मोड़ पर खुद को अकेला पाओ।