अछूत

अछूत

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रामू एक बैंक में सफाई कर्मचारी था इस कारण वह किसी के साथ भोजन भी नहीं करता था! वह अपने आप को अछूत मानता था कि कहीं उसे छोटा आदमी ना कह दे!

वही उनके स्टाफ में शर्मा जी थे जो एक मैनेजर थे! जिनके अंदर जात पात छोटा बड़ा किसी बात का भी घमंड नहीं था! शर्मा दी प्रतिदिन रामू से कहते थे अरे रामू मेरे साथ भोजन क्यों नहीं करते! किंतु रामू डर के मारे उनके साथ भोजन नहीं करता और सोचता लोग मुझे कुछ भला बुरा और अछूत ना कहने लगे!

यूं ही कुछ समय बीतता गया और 1 दिन शर्मा जी का जन्म दिवस आया!शर्मा जी ने अपने मन में ठान ली थी कि आज रामू का यह डर दूर करके रहेंगे और छूत अछूत की भावना यहां से समाप्त केर देगे!

आखिर वही हुआ शर्मा जी ने जब अपना जन्म दिवस का केक काटा तो सबसे पहले रामू को बुलाया और रामू को केक खिला दिया! और फिर उसका झूठा केक भी खा लिया!

रामू यह सब देख दंग रह गया तब शर्मा जी ने कहा कि व्यक्ति सबसे पहले इंसान हैं!

यह छूत अछूत छोटा बड़ा सब कुछ इसे मानसिक रोगियों की देन है जो इस धरती पर कलंक है!

उस दिन से रामू ने अपने आप को अछूत और छोटा मानना बंद कर दिया और खुलकर जीने लगा और सबके साथ भोजन भी करने लगा।


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