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amit Rajput

Abstract

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amit Rajput

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चाटुकारिता से सब कुछ हासिल नही

चाटुकारिता से सब कुछ हासिल नही

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रोहित को कंपनी में 25 वर्ष पूरे हो चुके थे किंतु उसका आज तक प्रमोशन नहीं हो पाया यह सोचकर वह बहुत ही परेशान होता था कि मेरा आज तक प्रमोशन क्यों नहीं हो पाया मुझसे पुराने व्यक्ति कैसे आगे बढ़ गए ! वही रोहित के जूनियर आकाश और विनीत उससे आगे बढ़ गए और उसके सीनियर बन गए ! इसका प्रमुख कारण था चाटुकारिता !

रोहित एक स्वाभिमानी व्यक्ति था जिसे चाटुकारिता करनी नहीं आती थी जिसका भुगतान उसे अपनी नौकरी के दौरान भोगना पड़ा !

1 दिन सभी सीनियर जो कंपनी में विशेष पद पर विराजमान थे कंपनी में आये !और रोहित को देख कर कहने लगे तुम तो बहुत ही पुराने हो तुम आगे क्यों नहीं बड़े तुम्हारा प्रमोशन क्यों नहीं हुआ !

तब रोहित ने कहा कि सर मैं अपने काम के प्रति ईमानदार हूं किंतु आज के जमाने में चाटुकारिता प्रमुख है जिसके बल पर व्यक्ति आगे बढ़ सकता है !

मुझे चाटुकारिता करनी नहीं आती मैं स्वाभिमानी हूं इस कारण में आगे नहीं बढ़ सका !

रोहित कि यह सब बातें सुन सभी अधिकारी गण मन ही मन सोचने लगे और कहने लगे कि यह व्यक्ति बहुत ही ईमानदार और स्वाभिमानी है क्यों ना इसे कंपनी का मैनेजर बना दिया जाए !

रोहित का स्वाभिमान और इमानदारी देख उसे कंपनी का मैनेजर बना दिया गया !

रोहित के सभी जूनियर यह देखकर हैरान थे कि यह व्यक्ति जो किसी की चाटुकारिता नहीं करता था एकदम मेजर कैसे बन गया !

किंतु यह भी सत्य था कि ईमानदारी की सदैव जीत होती है और वही हुआ !

तब रोहित बोला कि चाटुकारिता से कुछ हासिल नहीं होता ! यदि व्यक्ति ईमानदार और स्वाभिमानी हो तो ईश्वर उसका साथ देता है।


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