लघुकथा फेसबुक वाली लड़की
लघुकथा फेसबुक वाली लड़की
फेसबुक वाली लड़की जी हा कुछ ऐसा था कि राहुल हमेशा उस गुमनाम सी फेसबुक वाली फ्रेंड को फेसबुक वाली लड़की कहां करता था!
किंतु मन ही मन वह विचलित भी था क्योंकि उसने अपनी प्रोफाइल फोटो नहीं लगा रखी थी और ना ही कोई फोटो अपनी अपलोड करी थी बस स्टेटस ही डाला करती थी और मैसेज पर बात किया करती थी, नाम पूछने पर अपना नाम भी नहीं बताती थी नाम डाल रखा था गुमनाम !
राहुल को उस फेसबुक वाली लड़की से लगभग बात करते हुए 1 साल बीत गया,एक दिन उसके मन में विचार आया कि यह फेसबुक वाली लड़की कोई लड़का तो नहीं जो लड़की बन उसका मिस यूज कर रही है!
राहुल ने अपने मन में ठान लिया कि आज यह अपना परिचय और फोटो नहीं दिखाएगी तो इसे ब्लॉक कर दूंगा,
इतना कहकर रोज की तरह रात के 10:00 बजे राहुल ने उस गुमनाम फेसबुक वाली लड़की को मैसेज किया कि अपना परिचय और फोटो भेजो अन्यथा मैं तुम्हें ब्लॉक कर रहा हूं और फिर कभी जीवन में तुमसे बात नहीं हो पाएगी!
राहुल ने इतना कहा ही था कि फेसबुक वाली लड़की ने तुरंत एक सुंदर सा अपना असली फोटो और मैसेज अपलोड कर दिया और कहा कि मैं नेहा हूं जिसकी शादी 2 वर्ष पहले तुमसे तय हो चुकी है तुम्हारी होने वाली धर्मपत्नी हूं,
मैं तो तुम्हें आजमा रही थी कि तुम कहीं और किसी लड़की से फेसबुक पर बात तो नहीं करते!
यह सब सुन देख राहुल मन ही मन मुस्कुराने लगा और बोला अगर मेरे मन में ऐसा पाप होता तो मैं तुम्हें गलत मैसेज करता किन्तु आज तक मैंने तुम्हें कोई गलत मैसेज नहीं करा मैं तो यह सोच रहा था कि यह लड़की कौन है, जो प्रतिदिन मुझे मैसेज करती है फेसबुक पर, आगे का सिलसिला यूं ही चलता रहा और 1 दिन नेहा और राहुल का विवाह हो गया,
किंतु राहुल ने नेहा का उपनाम वही रखा था, फेसबुक वाली लड़की।