_ "Kridha"

Tragedy Inspirational Children

4.0  

_ "Kridha"

Tragedy Inspirational Children

अभिभावक (एक शिक्षिका भी )

अभिभावक (एक शिक्षिका भी )

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"क्या .…. करूँ..... मैं .....फीस जमा कराए की नहीं आप ही बताए " रमा अपने पति दीक्षित से बोली।

"देखो रमा मुझे लगता है, कि हमें थोड़ा और रुक जाना चाहिए वैसे भी स्कूल तो पूरे साल चलती है, हम एक दो महीने बाद भी स्कूल फ़ीस जमा करा सकते है वैसे भी सरकार ने हम अभिभावकों को थोड़ी रियायत तो दी है ना, सोनू का स्कूल से नाम नहीं कटेगा " दीक्षित बोला।

"हां मैं जानती हूं पर अगर फीस जमा नहीं कराई तो स्कूल टीचर्स का क्या होगा जिन्हें उनकी सैलरी हम अभिभावकों से मिलती है " रमा ने तर्क दिया। 


"रमा मैं जानता हूं कि तुम भी एक शिक्षिका हो इसलिए ये बात कह रही हो..... पर थोड़ा समझो तो सही इतने महीने से काम धंधा बंद था, हमारी आर्थिक स्थिति भी कितनी खराब हो गई थी .....

अगर कुछ वक़्त और ये लॉकडाउन चलता तो पता नहीं क्या होता 

अब इस बारे में इतना मत सोचो .... खैर ... मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं" इतना कहकर दीक्षित ऑफिस के लिए निकल गया।

रमा ने भी सोचा ये ठीक ही कह रहे है खैर मैं अपने काम ख़त्म कर लेती हूं ये सोचकर रमा अपना काम करने लगी।


जब से लॉकडाउन हुआ था तभी से रमा घर पर थी पहले घर का काम फिर स्कूल का काम, उसकी स्कूल वाले ऑनलाइन क्लासेज चला रहे थे, इसलिए वह सुबह - सुबह ही घर के सारे काम खत्म कर देती ताकि बाद में वो अच्छे से बच्चों को पढ़ा सके। हालांकि इन सबसे उसका काम काफी बढ़ गया। 


उसे आज भी वो दिन याद हैं जब उसने स्कूल ज्वाइन करने का सोचा था उसकी एक छोटी सी बेटी थी सोनू ..... उसके हसबैंड दीक्षित और वो ...... साथ में उसके सास ससुर रहते थे ..... इस महंगाई के दौर में एक सैलरी से खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा था इसलिए उसने सोचा कि मैं भी कुछ काम कर लेती हूं तो थोड़ा सहारा मिल जाएगा।


दीक्षित बहुत ही समझदार इंसान थे, वे अपनी पत्नी की बातों को सुनते भी थे और उनका सम्मान भी करते जब रमा ने अपनी स्कूल ज्वाइन करने वाली बात दीक्षित को बताई तो उसने उसे तुरंत ही हां कहा और बहुत उत्साह बढ़ाया था।

उसे टीचर की नौकरी करते - करते करीब दस साल हो चुके थे उसने सरकारी नौकरी पाने की कोशिश बहुत की.... पर उसकी जॉब नहीं लग पाई थी इसलिए वो एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की जॉब ज्वाइन कर रहीं थीं ...... वो स्कूल पास था और कोई समस्या भी नहीं थी इसलिए उसने 10 सालों से उसी स्कूल में काम किया और आगे भी वही करना चाहती थी।


वो मन ही मन सोच रही थी।

सोचते - सोचते कब शाम हो गई उससे पता ही नहीं चला "अरे ! शाम हो गई है चलो कुछ खाने की तैयारी करती हूं " वो शाम के खाने की तैयारी करने लगी।

अब तक दीक्षित भी ऑफिस से आ चुके थे।

सभी लोग किचन में खाने के लिए चले गए। 

सभी ने खाना खाया और रमा किचन साफ करने लगी, दीक्षित ने टीवी ऑन किया कि आज की क्या खबर है सभी लोग भी टीवी देखने लगे।


उसने जैसे ही टीवी ऑन किया न्यूज में आ रहा था " टीचर्स को सैलरी ना मिलने से टीचर्स अब दूसरे काम करने लगे ... उसमें से एक टीचर्स अपनी आप बीती बता रहा था .... उसके परिवार की सारी जिम्मेदारियां उस पर है .... पिछले दो - तीन महीनों से सैलरी ना मिलने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगीं थीं इसलिए वो अब सब्जी बेचने का काम करने लगा था उसकी संस्थान वाले ने उसे कह दिया था कि स्कूल फ़ीस ना आने की वजह से वे उन्हें सैलरी देने में असमर्थ हैं। "


ये सब देख कर दीक्षित रमा को देखने लगा रमा भी वो न्यूज़ देख रही थीं।

दीक्षित अब समझ चुका था कि इस वायरस की वजह से ना सिर्फ वो बल्कि कई लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी हैं, उसे अब रमा की बात सही लगीं और उसने रमा को फीस भरने के लिए हां कर दी।


अब रमा को सुबह का इंतजार था ताकि वो फ़ीस भर सके।


"समाप्त"




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