बचपन की नीव
बचपन की नीव
"रिया बेटा ज़रा ये थाली उठाकर किचन में रख दो" रिया की मां ने रिया को आवाज़ लगाई
रिया अपने कमरे से बाहर आई और देखा की उसका छोटा भाई वहीं बैठा हैं और टीवी देख रहा है और ये थाली भी उसकी हैं ,
"मां छोटू यहीं बैठा था , आप उसे भी कह सकते थे , मुझे कमरे से बुलाने की क्या जरूरत थी " रिया ने मां को कहा
" बेटा ऐसा कुछ नहीं हैं वो क्या हैं ना मैं तुझे सब कुछ सिखाना चाहती हूं , कल को हम तेरी शादी करेंगे , तुझे दूसरे घर जाना होगा तो तू वहां सब कुछ संभाल ले इसलिए तुझे कह रही हूं , और तू तो मेरी प्यारी गुड़िया रानी हैं " मां ने अपना पक्ष रखा
हालांकि रिया ने कुछ नहीं कहा और ना ही उसे कुछ समझ आया क्योंकि रिया सिर्फ एक 13 साल की बच्ची थीं , और उसका छोटा भाई सिर्फ 10 साल का था , लेकिन ये बात जब रिया के पिता ने सुनी तो उन्हें ये बात अच्छी नहीं लगी
"रागिनी तुमने आज ये सही नहीं किया " राघव ने कहा
"मतलब" रागिनी ने पुछा
"मतलब ये कि रिया को कमरे से उठाकर छोटू की थाली को किचेन में रखने का कहने की जगह तुम छोटू को भी अपनी थाली उठाने को कह सकती थी" राघव बोला
" हां मैं जानती हूं कि छोटू इतना भी छोटू नहीं हैं कि वो अपनी थाली नहीं उठा सके , पर आप बात समझ नहीं रहे , छोटू पुरी जिंदगी हमारे घर रहेगा , हमारे साथ रहेगा , उससे हम किसी तरह एडजेस्ट कर लेंगे , लेकिन रिया जब बड़ी होगी और किसी पराई घर में जायेगी , तो अगर वो इस घर में काम नहीं करेगी तो वहा कैसे एडजस्ट होगी" रागनी ने अपनी बात रखी
"ये कैसी बात कर रही हो तुम , पराई घर जाने और वहां कोई नौकरानी बनेगी क्या , जमाना बदल गया हैं आज के ज़माने में लड़का और लड़की दोनों ही घर के काम करते हैं और बाहर के भी" राघव बोला
"हा मैं जानती हूं , फ़िर भी ज़माना कितना ही बदल जाए , एक औरत को कभी भी घर के काम से छूट नहीं मिलेंगी, इस दुनियां में लड़की चांद पर भी पहुंच जाए फ़िर भी जब बात शादी की करते हैं तो सबसे पहले यहीं पुछा जाता हैं की लड़की को घर के काम आते हैं या नहीं .... हमारी शादी भुल गए क्या तुम्हारी मां ने भी सबसे पहले यहीं पुछा था" रागनी बोली
" हां मैं जानता हूं , लेकिन मैं तुम्हारे काम में क्या हाथ नहीं बटाता, आज के ज़माने के अनुसार सब को सब कुछ आना चाहिए" राघव बोला
" हां तुम सही मैं गलत" रागिनी ने गुस्से में कहा और वहां से चली गई
बात आई गई हो गई थी , रागनी ने रिया को सब कुछ सिखा दिया घर के काम , बाहर के काम , यहां तक की जॉब के साथ घर का तालमेल बिठाने के तरीके सब कुछ,
कुछ सालो में रिया की शादी एक अच्छे घर में हो गई और क़िस्मत से उसे उसका ससुराल और पति बहुत प्यारे मिले जिसे वो अपने सपनों के साथ - साथ अपनी गृहस्थी भी अच्छे से संभाल ली,
इधर छोटू की शादी भी हो गई थी , लेकिन उसने बचपन से ही घर के किसी काम में मदद नहीं की थी , तो अब जब उसकी पत्नी उसे कुछ भी करने को कहती तो वो कहता , ये काम लड़कियों का हैं मेरा नहीं
ये सारी बाते रागिनी और राघव दोनों सुन रहे थे , लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बचपन की नीव भी तो उन्होंने रखी थी, अब रागिनी को अहसास हुआ कि यदि वो छोटू को भी काम के लिऐ कहती तो आज वो अपनी पत्नी की मदद करता
तो दोस्तों काम कैसा भी हो घर का या बाहर का , मेरा मानना है की हर काम थोडा ही सही करना आना चाहिए, काम को जेंडर से रिलेट नहीं करना चाहिए।