दूसरा पहलु
दूसरा पहलु
" छ: - सात महीने पहले जब मैंने तुम्हे जॉब के लिए कहा था , तब तो तुमने मुझे साफ़ - साफ़ मना कर दिया था , लेकिन एक महीने पहले जब तुम्हें मैंने अपनी बुटीक खोलने के लिए कहा तो तुम झट से मान गए , क्यों पंकज , पिछले एक महीने से देख रही हूं तुम मेरा घर के काम में भी हाथ बटाने लग गए हों , मुझे ये बात बहुत परेशान कर रही है , प्लीज पंकज मुझे बताओ , कि तुमने ऐसा क्यों किया " नेहा अपने पति से बार - बार ये पूछ रही थी ,
नेहा और पंकज एक मध्यम वर्ग के लोग थे उनकी शादी को क़रीब 15 साल हो चूके थे, जहां पंकज एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर था वहीं नेहा एक हाउसवाइफ थीं , उनके तीन बच्चे हैं 1 बेटा और 2 बेटियां , वैसे तो घर में कोई कमी नहीं थी फ़िर भी कुछ महीनों पहले नेहा ने जॉब करने की जिद की तो पंकज ने मना कर दिया था
"छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी , नए सफ़र में लिखेंगे हम नई प्रीत की कहानी " पंकज ने हंसते हुए कहा
"पंकज तुम मुझे बताते क्यों नहीं हो " नेहा बोली
"छोड़ो सब और अपने बुटीक पर ध्यान दो और वैसे भी रात बहुत हो चुकी हैं , हमें सो जाना चाहिए" पंकज ने ऐसा कहा और सो गयालेकिन यहां नेहा की नींद गायब थीं , उसे लगा कि कहीं उसके पति की नौकरी तो नहीं चली गई और आगे भविष्य में आर्थिक तंगी ना हो इस वजह से कहीं वो मेरी ..... या फिर कहीं उनका किसी के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा इसीलिए मुझे अपने पैरो पे खड़ा कर मुझसे ही पीछा छुड़ाना चाहते हैं , ये सब सोच - सोच कर नेहा को नींद ही नहीं आई ।
सुबह
"नेहा उठो और चाय पिलो देखो मैंने तुम्हारे लिए चाय बनाने की कोशिश की हैं " पंकज उसे प्यार से उठने लगा लेकिन ये क्या उसने जब नेहा का हाथ पकड़ा तो उसका शरीर बहुत गर्म हो रखा था
"नेहा लगता हैं , तुम्हें बुखार है , मैं डॉक्टर को कॉल करता हूं" पंकज ने कहा और डॉक्टर को कॉल कर बुला लिया हैं
डॉक्टर आए और उन्होंने चेकअप किया "हाई बीपी की वजह से इन्हें बुखार आ गया है, मैं ये दवाई लिख देता हूं , हो सके तो इन्हें टेंशन से दूर रखिएगा " डॉक्टर ने पंकज से कहा और वहां से चले गए
पंकज नेहा का बहुत ध्यान रखता था लेकिन एक दिन नेहा ने जिद कर ली
"नहीं पंकज आज मैं खाना नहीं खाऊंगी जब तक तुम मुझे सच नहीं बता देते " नेहा ने कहा
"कैसा सच "पंकज ने पूछा
"यही कि तुम बुटीक खोलने के लिए इतनी जल्दी कैसे मान गए" नेहा ने कहा।
"छोड़ो उस बात को तुम क्यों बच्चो की तरह ज़िद कर रही हो "पंकज ने बात पलटने की कोशिश की।
लेकिन नेहा ने अपनी जिद नहीं छोड़ी थक - हार कर पंकज ने कहा "ठीक हैं तो सुनो छ: - सात महीने पहले जब तुमने मुझे जॉब के लिए कहा तो मैंने तुम्हें इसलिए मना किया क्युकी उस समय तुम अपना स्टेटस बदलना चाहती थी , तुम्हें याद है तुम्हारा जो लास्ट किटी पार्टी, जो हमारे घर पर थीं , उस वक्त तुम्हारी सारी सहेलियां अपनी - अपनी जॉब के बारे में बात कर रही थी और उन्हें देख कर तुम्हे ऐसा लगा कि तुम सिर्फ एक हाउसवाइफ हो इसलिए तुम्हारा स्टेटस उनके सामने कुछ नहीं हैं, इसलिए जब तुमने मुझसे जॉब के लिए कहा तो मैने तुम्हे मना कर दिया था, क्योंकि मैंने तुम सबकी बात सुन ली थीं ,
देखो नेहा हाउसवाइफ होना कोई आसान नहीं हैं , मेरी मां भी एक हाउसवाइफ रही हैं, मैं जनता हूं कि उन्हें कितना काम करना पड़ता हैं , खाना बनाते वक्त वो एक कुक होती हैं , घर की साफ सफाई के लिए वो मेड बन जाती हैं , मुझे पढ़ाने के लिए वो टीचर बन जाती हैं , तो घर के बजट को संभालने के लिए वो अकाउंटेंट भी बन जाती हैं , मेरे पिता ने हमेशा ही मां के हर काम का सम्मान किया , हाउसवाइफ होना भी गर्व की बात होती हैं इसलिए मैंने तुम्हें उस दिन जॉब के लिए मना कर दिया जब तुमने मुझसे पुछा था ।लेकिन दो महीने पहले जब मैं ऑफिस से घर आ रहा था तब तुम्हारे पिता यानि मेरे ससुर जी मिले , मैने उनसे बातों - बातों में तुम्हारे जॉब की बात रखी तब उन्होंने मुझे बताया कि तुमने फैशन डिजाइनिंग कर रखी है और तुम्हरा सपना एक फैशन डिज़ाइनर बनने का हैं , तुमने इतने सालों में मुझे कभी नहीं बताया और कभी कुछ नहीं कहा था , कि तुमने क्या कर रखा है और तुम्हरा क्या सपना है
इसलिए मैंने सोचा कि अब तो बच्चे भी बड़े हो रहे है और यदि हम सब मिलकर घर के काम में मदद कर लेंगे तो तुम अपने सपने को पूरा कर पाओगी
इसीलिए मैं तुमसे कुछ समय पहले फैशन की बात करने लगा और तुमने मुझसे अपनी बुटीक के लिए कहा तो मैं तुरंत तैयार हो गया क्योंकि तुम्हारे सपनो को पूरा करने में, मैं तुम्हारी मदद करना चाहता था ना कि सिर्फ हाउसवाइफ हो या वर्किग वूमेन नही हो जैसी बातों में आके अपने हाउसवाइफ होने का सम्मान खो दो,
अब समझी तुम " पंकज ने अपनी बात पूरी की ,इधर नेहा की आंख में आसू थे ये सोच कर की वो पंकज के बारे में क्या सोच रही थी।
