अतिक्रमण (लूट का नया तरीका)
अतिक्रमण (लूट का नया तरीका)
"अरे भाई साहब ये क्या कर रहे है ....कृपया ऐसा मत कीजिए.... इतने दिन लॉकडाउन था .....आज जाके लॉक डाउन खुला है .....आप ऐसा मत कीजिए मेरा बहुत नुकसान हो जाएगा ..." श्याम लाल ने कहा
श्यामलाल एक दुकानदार था उसकी फल- सब्जी की सब्जी मंडी में दुकान थी। वह एक ईमानदार इंसान था, ईमानदारी से अपना काम करता था परन्तु कहते हैं ना ये दुनिया सीधे लोगों के लिए नहीं बनी हैं।
"ए हट ये क्या कर रहा है, तुझे पता होना चाहिए कि ये जगह अतिक्रमण है, सरकार की है..... यहां तू अपना सामान नहीं रख सकता " मोहन ने कहा
मोहन एक नगर निगम का कर्मचारी था। बहुत ही बेईमान और झूठा।
" कैसी बात कर रहे है आप ......ये अतिक्रमण कैसे हुआ, मैं तो अपने दुकान के पास ही तो सामान लगा रहा हूं " श्यामलाल ने कहा।
"ऐ ज्यादा बोलता है ..... मैं तेरा सारा सामान उठा ले जाऊंगा ..... तू जानता भी है, हम निगम के लोग हैं..... समझा क्या .....मुझे बोलता हैं " ऐसा कहकर वो निगम का आदमी (मोहन) उस बेचारे आदमी ( श्यामलाल) का सामान उठा ले गया।
नगर निगम के कार्यालय में
"अरे देख में आज फिर उस फल वाले का सामान उठा लाया हूं .......हा हा हा।" मोहन ने अपने दोस्त रवि से कहा
जो उसके साथ ही निगम कार्यालय में काम करता था परन्तु वो मोहन की तरह झूठा और बेईमान नहीं था, रवि अच्छा आदमी था।
"क्या भाई तुम हमेशा ही उस फल - सब्जी वाले के पीछे पड़े रहते हो ......वो बेचारा तो अपनी दुकान के पास ही तो अपना फल लगाता है..... उसे क्यों हमेशा परेशान करते हो...... बेचारे ने इतने दिन बाद दुकान खोली और तू है कि ....." रवि मोहन को समझाते हुए बोल रहा था।
"अरे यार गेहूं के साथ धुन तो पिसता ही है .....उसकी दुकान जिस जगह पे लगी है, ..... वहां के दुकान वाले अतिक्रमण करते है उसके चक्कर में ये बेचारा भी पीस जाता है इसमें मैं क्या करूँ .." मोहन रवि की बात काटते हुए बोला
"हाँ ये बात तो ठीक है ...
अच्छा अभी तू इसका ये सामान उसे वापिस तो दे देना और हो सके तो जुर्माना थोड़ा कम ही लेना ... बेचारे की शक्ल देख कर ही मुझे उस पे दया आ गई थी.... " रवि बोला
"क्या बात कर रहा है...... तू .......तू तो बड़ा दयावान है पर मैं नहीं .......देख अभी सब्जी और फल के भाव आसमान छू रहे हैं महंगाई इतनी बढ़ गई है कि मेरी कमाई से कुछ भी नहीं हो पाता है ... इसलिए ही तो में उसका सामान उठा लाया .... यार इसमें से थोड़ा रख लूंगा ... बाकी उसको जुर्माने भरने के बाद दे दूंगा " मोहन रवि को समझाते हुए कहने लगा
"वो तुझसे पूछेगा तो .....कि उसका सामान कम कैसे हो गया तो " रवि बोला
"अरे यार मैं कह दूंगा कि सामान लाते वक्त गिर विर गया होगा
और क्या " मोहन ने कहा
" पर उसका नुकसान " रवि बीच में ही बोल पड़ा
"अरे छोड़ ना तू भी क्या ... अभी तू मेरा इतना काम कर देना मैं घर जा रहा हूं " मोहन बोला
"ठीक है " रवि ने अनमने ढंग से कहा
"भाई साहब...... ओ ......भाई साहब मेरा समान आज नगर निगम वाले उठा के ले गए थे ... मैं आपके हाथ जोड़ता कृपया मेरा सामान मुझे दे दीजिए " श्यामलाल ने रवि के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा
"कौन सा समान है तेरा भाई" .... रवि ने पूछा
"वो फल सब्जी वाला" श्यामलाल ने कहा
"अच्छा वो .… देख भाई अतिक्रमण की वजह से तेरा समान उठा के लाया गया है ..... तो तुझे उसका जुर्माना तो भरना पड़ेगा " रवि ने कहा
" ठीक है भाई साहब कितना जुर्माना हुआ " श्याम लाल ने पूछा
"तेरे 5 हजार रूपए हुए" रवि ने चालान काटते हुए कहा
" ये लीजिए " श्यामलाल ने रुपए देते हुए कहा
" अरे भाई साहब इसमें समान तो कम है, ......फल 4 - 5 किलो कम लग रहे है" श्यामलाल ने अपना सामान देखते हुए पूछा
"वो.... वो क्या है ......ना की सामान लाते वक़्त कहीं थोड़ा बहुत गिर गया होगा ... अभी तू निकल ना यहां से क्यों भेजा खा रहा है" रवि हिचकिचाते हुए बोलने लगा...
ये सब सुन श्यामलाल वहां से चला गया
और रवि सोचने लगा " पता नहीं गलत क्या है और सही क्या .... बेचारा श्यामलाल अतिक्रमी ना होते हुए भी कुछ लोगों की वजह से जुर्माना भरना पड़ रहा है.... और मोहन की महंगाई उसे इस तरह झूठा बना रही हैं। "