जज़्बात दिल के
जज़्बात दिल के
"चलो हम भाग कर शादी कर लेते हैं, अगर मेरे पेरेंट्स को पता चला कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ तो मेरे पेरेंट्स मेरी शादी कहीं और करा देंगे "रागनी सुमित को बोल रही थी।
सुमित और रागिनी दोनों कॉलेज फ्रेंड थे दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, वैसे दोनों की कोई ज्यादा उम्र नहीं थी यही कोई 20 - 22 साल के थे वो कहते है ना पहला पहला प्यार जैसा कुछ था।
"हाँ तुम ठीक कह रही हो हम एक काम करते है, कुछ दिनों में ही हमारा इंटरकॉलेज कॉम्पीटीशन हैं उस वक़्त हमारे पास अच्छा मौका हैं हम भाग जायेंगे, मेरे पास कुछ पैसे हैं उन पैसो से हमारा काम हो जाएगा " सुमित ने कहा।
इंटरकॉलेज कॉम्पिटशन के दिन दोनों अपने प्लान के अनुसार बस में बैठ गए और राजस्थान से सीधा गुजरात पहुंच गए।
इधर रागिनी और सुमित के घर पे "अरे सुनिए हमारी बेटी ने आज कम्पटीशन में भाग लिया है देखना वो इस बार भी ज़रूर जीतेगी " रागिनी की माँ ने कहा...
" हाँ रागिनी की माँ देखो ना हमारी बेटी कितनी बड़ी हो गयी है, आज कॉलेज में है, कल अपना कॅरियर बनाएगी और जब तक वो अपने पैरो पर खड़ी नहीं हो जाती तब तक मैं उसकी शादी नहीं करूँगा " पिता ने कहा...
सुमित के घर पर भी कुछ ऐसी ही बात चल रही थी उसके माता - पिता भी चाहते थे कि पहले सुमित अच्छे से पढ़ लिख जाये उसके बाद ही वो उसकी शादी के बारे में सोचेंगे।
लेकिन दोनों ने तो कुछ और ही सोचा था और इस बारे में उनके पेरेंट्स को पता नहीं था। काफ़ी देर बाद जब दोनों घर नहीं पहुँचे तो उनके पेरेंट्स उनके कॉलेज गए साथ ही सभी दोस्तों से पूछताछ की जब उनका कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने अनहोनी की डर से पुलिस में कंप्लेन लिखवाई।
24 घंटे के अंदर दोनो को गिरफ़्तार कर लिया गया था। जैसे ही वो दोनों आये रागिनी की माँ ने देखा की रागिनी ने शादी कर ली थी उसके गले में मंगल सूत्र और मांग में सिंदूर था एक ही पल में दोनों बच्चों ने अपने पेरेंट्स के सपनों पर और उनके मान - सम्मान पर पानी फेर दिया था।
"ये क्या किया तुमने शादी कर ली"
"माँ में सुमित से प्यार करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं"
यही बात सुमित भी बोल रहा था...
"देखिये अब दोनों बालिग है आप उन्हें किसी भी तरह से फाॅर्स नहीं कर सकते" पुलिस वाले ने समझते हुए कहा।
"मानती हूँ पुलिस साहब की बच्चे अब बड़े हो गये है इसलिए अब अपने फैसले ख़ुद ले सकते है पर एक बार पूछिए इनसे जब पैदा हुए थे तो उँगली पकड़ कर किसने चलना सिखाया, इनकी हर छोटी से छोटी ख्वाहिशों को पूरा किसने किया, कई बार माता - पिता अपनी इच्छाओं को मरकर अपने बच्चों की ज़िद पूरी करते है, हमने कब इनकी ज़िद पूरी नहीं की और हमारे बच्चे ने हमारा मान तक नहीं रखा, क्या मैं अपनी बेटी की खुशियां नहीं चाहतीं क्या मैं उसकी शादी उसकी मर्जी के ख़िलाफ़ कराती, क्या मैंने उसका बाल विवाह कराया था, अरे कौन से ऐसे माता - पति होंगे जो जानबूझकर अपने ही बच्चे की शादी किसी ऐसे इंसान से करेंगे जो उनकी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद कर देगा, है कोई जवाब आप लोगों के पास।"
उनकी बात सुनकर पूरे पुलिस स्टेशन में शांति छा गयी, क्योंकि मन में सभी को पता था की रागिनी की माँ सही कह रही हैं
"क्या वो सही कह रही है - स्वयं विचार कीजियेगा।"