परीक्षार्थी हूं,आतंकवादी नहीं
परीक्षार्थी हूं,आतंकवादी नहीं
"आज फ़िर से तेरा एग्जाम है तुझे याद है ना ... बेटा अब उठ भी जा .. हाँ मैं जानती हूं की तूने रात भर जाग कर कितनी मेहनत की है ... लेकिन अगर तू लेट हो गया तो सेंटर वाले तुझे अंदर भी नही घुसने देंगे... तू तो जानता है ना आज कल एग्जाम सेंटर में कितनी सख्ती हो गई हैं... पिछली बार भी तू 10 मिनट लेट हो गया था ... और एग्जाम में बैठ ही नही पाया.."
बोलते बोलते मा अनिकेत के कमरे तक आ गई और उसे प्यार से उठाने लगी...मां का हाँ थ का स्पर्श पाते ही अनिकेत उठ बैठा ... "जल्दी से नहाँ धो लें और फिर बाहर आकर नाश्ता कर ले"
"हाँ मां ठीक हैं आता हूं" ... अनमने मन से उसने जवाब दिया और नहाँ ने के लिए बाथरूम में घुस गया!
वह फटाफट नहा धो कर बाहर निकला ... और नाश्ते के लिए टेबल पर बैठ गया थाउसके घर में उसकी मां , उसके पिताजी और उसकी एक छोटी बहन थीं !अनिकेत एक समझदार लड़का था , उसने पोस्ट ग्रेड्यूशन कर रखा था और अब सरकारी जॉब की तैयारी कर रहाँ थाउसके पिताजी किसी प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे
अनिकेत एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखता था .. मध्यम वर्ग के परिवार वाले का एक ही सपना था कि बच्चे अच्छे पढ़ लिख जाए और अगर उन्हें एक सरकारी नौकरी मिल जाय तो ... सोने पे सुहागा हो जाता है! और अनिकेत भी यही चाहता था इसलिए दिन रात मेहनत भी करता था लेकिन उसकी एक प्रॉब्लम थीं वो अंतर्मुखी स्वभाव का था ज्यादा किसी से नहीं मिलता था उसके दोस्त भी बहुत कम थे और बचपन में उसे किसी ने गलत तरीके से छूने की कोशिश की थीं इस वजह से वो लोगो से ज्यादा घुल मिल नहीं पाता.. बचपन की एक हरकत ने उसे संकोची स्वभाव का बना दिया था
"कहाँ खो गया है बेटा ... खाना क्यू नहीं खा रहे हो" पापा ने पूछा
"कुछ नहीं पापा बस ऐसे ही"
"क्या हुआ बुखार तो नहीं है" मां ने पूछा
नहीं में ठीक हूं मैं निकलता हूं मुझे एग्जाम के लिए देर हों रही है"
"क्या सोच रहे हैं आप" अनिकेत की मां ने अनिकेत के पापा से पूछा !
"कुछ नहीं बस अनिकेत के बारे मैं सोच रहाँ था मैं जानता हूं कि हमारा बेटा होशियार है ईमानदार भी और बहुत मेहनत भी करता है ....
लेकिन आज कल वो परेशान भी रहता है, पता नहीं कोनसी बात उसके दिमाग में चल रही है "
"हाँ मुझे भी कभी कभी ऐसा लगता है" अनिकेत की मां ने कहाँ !
एग्जाम सेंटर के बाहर
आज फ़िर चेकिंग होगी उस सब से गुजरना पड़ेगा , थोडा सचकुचता हुआ वो लाइन में लगा , लेकिन इस बार चैकिंग मशीन से हुईं तो उसे कोई प्रॉब्लम नहीं हुईं , वो ख़ुशी - ख़ुशी एग्जाम देकर आ गया ,वो जब घर पहुंचा तो काफ़ी ख़ुश था शाम को उसके पापा ने एग्जाम के बारे बात की तो उसने बताया कि उसका पेपर बहुत अच्छा हुआउसके पिता ने सोचा कि वो आज इतना ख़ुश हैं तो उसे आज पूछ लेता हूं,
"बेटा तुमसे एक बात करनी थी"
" हाँ पापा पूछिए "
" बेटा काफ़ी दिनों से देख रहाँ हूं कि तू किसी बात से बहुत परेशान है"
अनिकेत अब समझ चुका था कि उसके माता पिता उसके हाँ व भाव पढ चूके हैं , उसने सोच लिया था कि वो अपने पापा को सब कुछ बता देगा और उसने सब कुछ बता दिया,उसकी बात सुनकर उसके पापा चिंतित हुए और ये सारी बातें उसने अनिकेत की मां को भी बताई !अब उसके माता पिता को समझ ही नहीं आया खैर ये कहाँ नी यहाँ तक ही लिखूंगी क्योंकि इसका अंत क्या होना चाहिए नही पात ,मैं समझती हूं कि यदि अनिकेत को इस राह की प्रॉब्लम है तो वो किसी अच्छे सैकोलॉजिस्ट के पास जा सकता है!
लेकीन फिर भी मन में एक सवाल तो रह ही जाता हैं कि क्या इस तरह की जांच होनी चाइए या अगर हो भी तो कुछ और तरीका भी तो हो सकता है!