_ "Kridha"

Children Stories Others

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विद्यार्थी जीवन का .. एक डर

विद्यार्थी जीवन का .. एक डर

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विद्यार्थी जीवन का एक डरावना सपना

"क्या ... मैं फेल हो गई ऐसा नहीं हो सकता, मैंने इतनी मेहनत की थी। पूरे साल मन लगा के पढ़ाई की थी। मैं ऐसे कैसे फेल हो सकती हूं " पाखी - अपनी मां से कह रही थी।

पाखी 12th क्लास में पढ़ती थी। पढ़ने में होशियार थी परन्तु आत्म विश्वास की कमी थी, इसलिए हर एग्जाम से पहले घबरा जाती थी, उसकी मां उसे हर बार समझाती थी ताकि वो घबराए नहीं।

वह अपनी स्कूल में काफ़ी अनुशासित लड़की थी, सबका सम्मान करती थी, अपना सारा कार्य समय पर करती थी, स्कूल में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भी भाग लेती थी .. हाँ वो बात अलग है कि उसकी आत्म विश्वास की कमी के कारण वो हर बार पिछड़ जाती थी फिर भी वो मेहनत करती थी।

जब उसे पता चला की वो 12th में फेल हो गई थी, तो वो बहुत रोने लगी वो बहुत निराश हो गई हालांकि उसके माता पिता उसे समझाते रहे कि कोई बात नहीं बेटा तुम अगली बार और मेहनत करना इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, बेटा कोई बात नहीं अब रोना बंद करो तुम हमारी बहादुर बिटिया हो।

उसके माता पिता उससे बहुत प्यार करते थे, वो उनकी इकलौती संतान थी उसे इस तरह रोता देख उसके माता पिता को भी उसकी चिंता सता रही थीl

" खैर ये सब छोड़ो चलो खाना खाते हैं, तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद का खाना बनाया है " - उसके पिता उसे कहते हैं l

वो अनमने ढंग से खाने के लिए बैठती है और थोड़ा सा खाके उठ जाती हैं।

" क्या हुआ तू खाना क्यों नहीं खा रही " - मां ने पूछा

"मां भूख नहीं है " मैं बस इतना ही खाऊंगी इतना कहकर वो उठ कर अपने कमरे में चली जाती हैं।

तभी उसका मोबाइल बजता है उसकी दोस्त निधि का फोन आता है।

वो उसकी बेस्ट फ्रेंड है, पाखी फोन उठाती हैं तो निधि कहती है

" हाय ! पाखी तूने रिजल्ट देखा क्या, तुझे पता है मुझे 80 परसेंट मिले है और तुझे कितने मिले है, मैं तो इतना खुश हूं कि सोचा सबसे पहले अपनी दोस्त को कॉल करू और उसका रिजल्ट भी पूछ लूं ........अरे बता ना पाखी क्या रिजल्ट रहा तेरा....... तू कुछ बोल क्यूं नहीं रही " इतना सुनते ही पाखी फोन पर ही रोने लगी।

"क्या हुआ पाखी तू रो क्यूं रही हैं " निधि ने पूछा

" यार निधि मैं फेल हो गई पता नहीं कैसे, पर मैं फेल हों गई " और फिर पाखी रोने लगी

"अरे यार क्या कह रही है तू तो मुझसे भी इंटेलिजेंट है ऐसा कैसे हो सकता है" उसकी दोस्त ने कहा।

" पता नहीं यार " ये कह कर उसने रोते रोते फोन रख दिया।

वो रात भर रोती रही .... कई दिनों तक वो उदास रही। उसके माता पिता ने उसे बहुत समझाया...... वो दोनों अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे इसलिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि उनकी बेटी खुश रहे।

लेकिन पाखी को लगता था कि वो अब फ़ैल हो गई है, अब वो अपनी ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर पाएगी। उसके सारे दोस्त आगे निकल गए ...... उसने अपने माता- पिता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया...... अब उसकी ज़िंदगी में कुछ नहीं बचा, उससे अब जीने का भी अधिकार नहीं है, वो क्या करेगी जी कर भी ........उसे मर जाना चाहिए, वो ये सब कुछ सोचते- सोचते सो गई।

कुछ दिन बाद

आज उसके माता - पिता किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे, वो घर में अकेली थी हालांकि उसके माता पिता उससे साथ ले जाना चाहते थे ताकि उसकी उदासी दूर हो सके लेकिन उसने तबीयत ठीक ना होने का बहना बना कर घर में ही रुक गई।

क्योंकि अब उसने सोच लिया था... कि उसे अब और नहीं जीना है ...वो अपने कमरे में गई और अपना दुपट्टा लेके उसने फांसी लगा ली यानी उसने आत्महत्या कर ली।

आत्महत्या एक महा पाप है इससे सिर्फ कानून ही नहीं अपितु अध्यात्म भी इसे हत्या कहता है यह पूर्णतः गलत हैं।

पाखी ने बिना आगे पीछे सोचे इतना बड़ा कदम उठा लिया था

जब उसके माता पिता घर आए तब

" पाखी ..... पाखी कहाँ है तू " मां ने घर में आने पर पूछा

उसकी मां उसे काफी देर तक आवाज देती रही पर कोई जवाब नहीं आया।

" पाखी बेटा...... पाखी कहाँ हो बेटा देखो हम तुम्हारे लिए क्या सरप्राइज लाए है जरा देखो तो " उसके पिता ने आवाज लगाई।

उसके माता - पिता ने उसके लिए सरप्राइज तैयार किया था। वो जानते थे कि फेल होने की वजह से उनकी बेटी बहुत दुःखी है।

लेकिन वो जैसे ही उनके कमरे में गए पाखी पंखे से लटक रही थी उसकी मां से देखा ना गया और वो वहीं बेहोश हो गई, जैसे तैसे उसके पिता ने उससे उतारा और हॉस्पिटल ले के गए जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

अब उसकी आत्मा वो सब कुछ देख पा रही थी भले ही उसके माता पिता उसे ना देख पा रहे हो लेकिन वो सब कुछ देख पा रही थी वो अपने माता पिता को इस तरह बिलखता रोता हुआ देख कर बहुत दुखी हुई, उसने अब मन ही मन सोचा कि उसने ये क्या कर दिया क्यों उसने अपने माता - पिता के बारे में कुछ भी नहीं सोचा, क्यूं उसने ये कदम उठाया अब वो अपने किए हुए पर पछता रही थी ....

......

उठ जा अब तो और कितना सोएगी .... उसकी मां उसे उठाने की कोशिश कर रही थी....

अरे ये क्या वो तो जिंदा हैं... लगता हैं उसने आज बहुत डरावना सपना देखा.... वो हड़बड़ी में उठी और तैयार हो कर स्कूल जाने लगी .... उसका आज रिजल्ट आने वाला था... और उसे पूरे 85 प्रतिशत आए थे...



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