_ "Kridha"

Inspirational

4.5  

_ "Kridha"

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प्यारे दादू

प्यारे दादू

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"क्या सोच रहे हैं , किशन के बापू " किशन की मां ने कहा

"बस यहीं की आज हमारी शादी की सालगिरह है और हमारे अपने बच्चे ही हमारे पास नहीं है " किशन के बापू बोले

"तो क्या हुआ बच्चो ने हमें विश तो किया था , और आप तो जानते ही हैं , कि नौकरी की वजह से हमारे बच्चे अलग - अलग शहरों में बस गए हैं " मां ने ज़वाब दिया


इनका नाम रामनरेश त्रिपाठी और उनकी पत्नी का नाम सुशीला देवी हैं , 4 बच्चे किशन , राजन, मनीष और रोशनी , सभी बच्चो की शादी हो चुकी थी , सभी बच्चे शहर में अच्छी पोस्ट पर नौकरी करते थे , किसी के भी घर में कोई कमी नहीं थी , नौकर - चाकर , गाड़ी - बंगला सभी थे , रामनरेश जी ने अपने बच्चों को ख़ूब पढ़ाया - लिखाया था , सभी अपने - अपने घर में खुश थे , लेकिन गांव ना छोड़ पाने की वज़ह से रामनरेश जी और उनकी पत्नी यहीं रहती थी।


वैसे तो बच्चे रोज फोन करते और साल में एक बार उनकी शादी की सालगिरह पर आते थे लेकिन इस बार बच्चों को काम होने की वजह से नहीं आ पाए ।

उनकी आज 45 वी शादी की सालगिरह थी लेकिन वो आज खुश नहीं थे ,तभी उनकी सबसे बड़ी पोती उन्हें वीडियो कॉल करती हैं , 


"हैपी एनिवर्सरी दादू और दादी " शिखा बोली

"थैंक्यू बेटा" दादा जी ने कहा

और थोड़ी बहुत बात करके फोन रख दिया


शिखा को आज दादू का व्यवहार कुछ अजीब सा लगा क्योंकि जब भी वो वीडियो कॉल करती तो उसके दादू हमेशा मुस्कुराते हुए नजर आते लेकिन आज ऐसा नही था ,शिखा घर में सबसे बड़ी और समझदार भी थी इसलिए वो समझ गई कि उन सबके न होने की वजह से दादू आज उदास है वो मन ही मन सोचने लगी , तभी उसको एक विचार आया ,उसने अपने सभी भाई - बहन को कॉल किया और एक प्लान बनाया , अब घर के सारे भाई - बहन उस प्लान में लग गए।


कुछ दिन बादरामनरेश जी के घर की घंटी बजी तो उन्होने अनमने मन से दरवाजा खोला ।


"दादू , नानू एक साथ आवाज़ आई तो वे थोडा चौक गए"  उनके सारे नाती पोते दोहित उनके सामने खडे थे ,

"अरे बच्चो तुम सब लोग " रामनरेश जी खुशी वयक्त करते हुए बोले और अपने सारे बच्चो को गले लगाया और अन्दर ले आए


"अरे किशन की मां सुनती हो , बाहर आकर देखो कौन आया है " अब क्या हुआ आपको कौन आया है , कहते हुए सुशीला देवी रसोई से बाहर आई।


अपने सारे बच्चो को देख कर वे बहुत खुश हुईसारे बच्चे सिर्फ़ किशन के साथ आए थे तो रामनरेश जी ने पुछा कि बाकी बच्चो के मां बाप क्यू नही आए


"आप चिंता मत करो दादू , हम सब के मम्मी - पापा कुछ दिन में आ जायेंगे" छोटू ने उत्तर दिया


कुछ दिनों तक रामनरेश जी के घर में बहुत रौनक रही , उनके सारे बच्चे , नाती पोते दोहित सब थे , और उन सबने मिलकर रामनरेश जी और सुशीला देवी की शादी की सालगिरह ख़ूब धूम धाम से मनाई थी हालंकि शादी की सालगिरह तो जा चुकी थी लेकिन फ़िर भी रामनेरश जी बहुत खुश थे , एक दिन सब बैठे हुए थे तभी रिंकी ने कहा " दादू कल हमारी टिकट है मैं मम्मी पापा और सोनू घर चले जायेंगे"


तभी सब लोग अपनी - अपनी जानें की डेट्स बताने में बिज़ी हो गए लेकिन किसी का भी ध्यान रामनरेश जी पर नही था वे दुखी थे , लेकिन शिखा अपने दादू को देख रही थी।


अगले दिन शिखा के दादा जी और दादी जी जब मंदिर गए , तो शिखा ने सबको इक्कठा किया और बताया कि दादा जी हम सबके चले जानें के बाद फ़िर से दुखी हो जाएंगे , और ये प्रोग्राम भी शिखा ने इसलिए ही रखा था कि जब उसने दादू को शादी की सालगिरह मुबारक देने के लिए वीडियो कॉल किया था तो दादा जी बहुत अपसेट थे ,


शिखा की बात सुनकर सभी लोग भी दुखी हो गए उन्हें समझ नहीं आया कि अब वे लोग क्या करें , क्योंकि अपनी नौकरी छोड़कर गांव आना उनके बस में नहीं था और शहर मैं उनकी रहने की आदत पड़ गाई थी , सभी लोग परेशान हो जाए थे कि दादा जी को खुश कैसे रखे।


इस परेशानी का हल निकालना मुश्किल हो रहा था , सभी अपनी तरफ से सोच रहे थे कि सोनू को एक आइडिया आया और उसने वो आइडिया सबको बताया ये बात सुनकर सभी खुश हुए और उनकी परेशानी का हल निकाल गया।जैसे ही रामनरेश जी अपने घर वापिस लोटे तो उन्होने देखा कि सभी लॉग हॉल में बैठे हैं और उनका ही इंतजार कर रहे थे, रामनरेश जी ने सोचा ये लोग जानें से पहले मुझसे मिलना चाह रहें होंगे इसलिए सभी यहां बैठे हैं।


"क्या हुआ दादाजी आप हम सबके जाने से दुखी हो क्या " चुटकी ने पुछा


रामनरेश जी क्या बोलते वो चुप ही रहे थोड़ी देर की चुपी के बाद किशन ने ही बोलना शुरू किया

"पिताजी हम सभी आप दोनों से से बहुत प्यार करते हैं , और आप दोनों को छोड़ना नहीं चाहते लेकिन आप भी जानते हैं कि हम सभी अपनी - अपनी नौकरी छोड़कर गांव में नहीं बस सकते हैं"


" हा तो जाओ किसने रोका" रामनरेश जी गुस्से में बोले

"पिताजी आप नाराज मत होइए हम सब ने मिलकर आपकी परेशानी का हल निकाल लिया है , और अब आपको दुखी होने की जरूरत भी नहीं होगी " किशन बोला


"क्या मतलब" रामनरेश जी बोले


"मतलब ये कि देखिए पूरे साल में 12 महिने होते हैं और हर महीने हमारे घर में किसी न किसी का जन्मदिन आता है , चूकि सभी अलग शहरों में रहने की वजह से मिलना भी नहीं हो पता है इसलिए साल में एक बार हम शादी की सालगिरह पर आते हैं , लेकिन अब से ऐसा नही होगा ,


अब हर महिने जिस का भी जन्मदिन आएगा हम सब मिलकर उसके घर जन्मदिन मनाने जायेंगे और कुछ दिनों तक रहकर आएंगे , इससे सबको अपनी नौकरी से ज्यादा छूटी भी नहीं लेनी पड़ेगी , और हम सब आप लोगो से मिल भी पाएंगे और इससे आपका भी थोडा चेंज हो जाएगा , क्यू कैसे लगा मेरा आइडिया " शिखा ने बताया


"इसका मतलब 12 महीनों में 12 बार हम आपस में मिल पाएंगे " छोटू बोला


रामनरेश जी को इस बात से काफी खुश हुई , क्योंकि बच्चों से मिलना जरूरी था , इससे कोई मतलब नही कि वे मिल कहा रहे थे । 


उन्हे उनकी परेशनी का हल मिल गया था


नोट : सोनू , चुटकी , छोटू उनके नातिन थे।


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