_ "Kridha"

Drama Tragedy

3.4  

_ "Kridha"

Drama Tragedy

वो लोग....

वो लोग....

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सुनसान सड़क सुनसान रास्ते में एक इंसान अकेला जा रहा था।

मन में एक डर लिए...आज कितनी शांति है यहां, इतने सालों से इस शहर को देख रहा हूं कभी भी ऐसी शांति नहीं देखी। वो आदमी सोचते हुए जा रहा था तभी उसने देखा आज चौराहे पर पुलिस है। इतनी सारी पुलिस को देख कर पहले तो वो डर गया फिर सोचा जाना तो पड़ेगा अगर आज घर में राशन नहीं ले गया तो बीवी बच्चो को क्या खिलाऊंगा ?

डरते-डरते वो चौराहे की तरफ बढ़ रहा था, तभी सामने पुलिस वाला आया और पूछा " ओ ताऊ! कहाँ जा रहे हो पाता नहीं है

यहां महामारी फेल रही है घर जाओ यहां आना मना है। " 

" पर मुझे उस चौराहे के पार जाना है घर में राशन नहीं है लेने जाने दो साहब " कहते हुए उसने हाथ जोड़ लिए

" नहीं! हम किसी को भी अनुमति नहीं दे सकते है, हम सब जानते है, तुम लोग राशन - पानी के बहाने बाहर निकलने का बहाना ढूँढते हो, और तुम लोगो की वजह से ही ये महामारी इतनी फैल रही है, हमें सब पता है जाओ यहां से वरना.... " कहते हुए पुलिस वाले ने जोर से डंडा मारा। " 

डर के मारे वो वापिस अपने घर की और मुड़ गया और जाते जाते सोचने लगा "काश। लोग जरूरी काम की लिए ही निकलते तो आज मुझे भी अपने राशन - पानी लाने के लिए जाते हुए इतना सहना नहीं पड़ता।" इतना कह कर वो वहां से चला गया और कोई ऐसा रास्ता ढूंढने लगा जहां वो किसी को नजर ना आए और घर के लिए कुछ इंतजाम कर सके।



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