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Shailaja Bhattad

Abstract Children Stories Inspirational

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Shailaja Bhattad

Abstract Children Stories Inspirational

आत्मनिर्भर

आत्मनिर्भर

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आत्मनिर्भर - कहानी

 "माँ, कल टिफिन में पनीर की सब्जी देना बहुत स्वादिष्ट लगती है; रोहन रोज लाता है।" सुधीर ने विद्यालय से आते ही अपना बैग रखते हुए कहा।

 "ठीक है बेटा।"

 "मैं सामने वाले सुपर मार्केट से पनीर ले आऊँ क्या माँ?"

 "नहीं।" फ्रिज खोलते हुए रश्मि ने कहा।

 "फिर सब्जी कैसे बनेगी?" चिंता भरे स्वर में सुधीर ने पूछा।

 "मैं खुद घर पर पनीर बनाऊँगी। पनीर बनाने का कच्चा समान है न।"

 "कच्चा सामान?" "हाँ, दूध और नींबू।"

"इतना आसान है; पनीर बनाना माँ?"

 "हाँ, बिल्कुल। आओ मैं तुम्हें भी सिखाती हूँ।"

 "माँ, एक बात पूछूँ?"

"हाँ, पूछो न।"

"आज विद्यालय में हमारी इकॉनॉमिक्स की मैडम, भारत में आयात की जाने वाली वस्तुएँ व भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के बारे में बता रहीं थी। एक बात बताओ माँ, हमें उन वस्तुओं को आयात करने की आवश्यकता ही क्यों है? अगर हमें बनाने की विधि पता हो व उसके लिए आवश्यक सामान उपलब्ध हो तो हम हर वस्तु जैसे मोबाइल, लैपटॉप और भी कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण घर में यानी अपने देश भारत में ही बना सकते हैं न? किसी दूसरे देश से महँगे सामान बुलाने की आवश्यकता नहीं है न? क्या हम बना नहीं सकते?"

 "हाँ,बना तो सकते हैं, लेकिन...!"

 "लेकिन क्या माँ?"

 "कई सामानों की माँग, उत्पादन से अधिक होती है साथ ही कम दक्षता व कुशल श्रम की कमी भी एक बड़ा कारण है।" फटे दूध को छानते हुए रश्मि ने बताया।

 "फिर हमें इनके बारे में बचपन से ही हमारे पाठ्यक्रम में पढ़ाकर जागृत क्यों नहीं किया जाता; ताकि हम सभी बड़े होने तक विभिन्न तकनीकों में पारंगत हो जाए। जैसे आप पनीर बनाने में पारंगत हो गई।"

 "हाँ, ठीक कहा, वैसे ही जैसे किसान का बेटा बचपन से ही किसानी की बारीकियाँ जानता है, फिर अगर वह इसी क्षेत्र में आगे की पढ़ाई करता है तो तकनीकी रूप से स्वयं को परिष्कृत कर खेती को नई ऊँचाइयों तक ले जाकर न सिर्फ़ उच्च कोटि के अनाज का उत्पादन करेगा वरन भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में भी सहायक होगा।" पनीर को जमाते हुए रश्मि ने कहा।

 "माँ, एक और बात, टीचर ने कहा है कि 'आप लोगों के घर में टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, मिक्सी, साबुन और भी कई चीजें जिस-जिस ब्रांड की आती है उसकी लिस्ट बनाकर लाओ।"

"ऐसा क्यों...? अच्छा समझी। यह स्वदेशी अभियान के तहत ही है न?"

 "हाँ! माँ, सही कहा। टीचर ने कहा है, कि हमें अधिक-से-अधिक भारत में बनी हुई चीजों का ही इस्तेमाल करना है; तभी हम आत्मनिर्भर बन पाएँगे व अपने देश को सुदृढ़ बना पाएँगे।"

 "अच्छा प्रयास है। मैं, इसमें तुम्हारी पूरी मदद करूँगी।"

"अरे वाह! माँ, फिर तो काम आसान हो जाएगा।"

 "वैसे हम अस्सी प्रतिशत सामान स्वदेशी ही इस्तेमाल करते हैं। बाकी रहा बीस प्रतिशत तो वह भी अब हम स्वदेशी कर लेंगे।"

"हुर्रे! फिर तो हम 'सर्वश्रेष्ठ' भारतीय हो जाएँगे।"

"बिलकुल। देखो पनीर भी तैयार है सब्जी बनाने के लिए।"

वाह! माँ, अभी तक सुधीर मुझे देता था; कल-से मैं सुधीर को दूँगा।"

 "यानि अब आयात नहीं निर्यात होगा।" रश्मि ने खुश होकर कहा।






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