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SANGEETA SINGH

Romance Tragedy

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SANGEETA SINGH

Romance Tragedy

आंखें

आंखें

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नैना आज 4 साल की हो गई थी,राहुल के लिए आज की भी सुबह आम थी,वह सो कर उठा,दैनिक दिनचर्या निपटा , ब्रेकफास्ट के लिए जैसे बैठा ही था,की माया के चिल्लाने की आवाज़ सुनी। वह नैना को आवाज़ लगा रही थी_ बेबी ,उठो साहब को देर होगा,तुमको देखे बिना वो क्लीनिक नहीं जाएंगे।

राहुल ने पूछा_" क्यों माया क्या हुआ,आज नैना क्यों नहीं उठ रही?"

माया ने कहा_ "साहब वो जिद कर रही , कि आप क्लीनिक मत जाओ ,क्योंकि आज उसका जन्मदिन है,वह पूरे दिन आपके साथ रहना चाहती है।"

राहुल उठकर नैना के पास गया,नैना ने आंखें बंद कर रखी थी। राहुल ने कहा "बेटा , आंखें तो खोलो अब पापा नहीं जाएंगे क्लीनिक।"

भोले से नैना ने अपनी आंखें खोली। बड़ी बड़ी ,नशीली आंखें ,जिसको देखते ही राहुल जैसे नशे में डूब जाता था। आज पिया ना होते हुए भी उसके साथ थी ,नैना की आंखों में। पिया ने मरते हुए एक 2 साल की अनाथ बच्ची नैना को अपनी आंखें दी थी,और राहुल से ये वादा लिया था, कि वह नैना कि देखभाल अपने बच्चे की तरह करेगा।

पिया उसका प्यार और इबादत थी,और उसकी हर बात को वो पूरी करने कि कोशिश पूरी शिद्दत से करता था।पूरा कॉलेज उन्हें लवबर्ड कहता था। राहुल पिया को छेड़ते गीत गाता_ तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है??पिया उसे दौड़ाती।कितना सुहाना था वो कॉलेज का 41/2 साल का सफर।

दोनों का एमबीबीएस हो गया,अब स्पेसिलाइजेशन करना था।राहुल के पिता ने उसे टेक्सास के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन में दाखिला करवा दिया,जबकि पिया का दिल्ली में मौलाना आज़ाद कॉलेज में दाखिला हो गया।दोनों को दो साल के लिए अलग होना था ।

राहुल बहुत बेचैन था ,कैसे वो पिया को छोड़ कर जा पायेगा,पिया ने बहुत समझाया कि "सुनहरे भविष्य के लिए हमें आगे की पढ़ाई पूरी करनी है,वक्त तो जल्दी ही निकल जाएगा, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी राहुल।"

भारी मन से एक दूसरे से दोनों विदा हुए,फिर मिलने के लिए। टेक्सास जाने के बाद राहुल अपनी पढ़ाई में,और दिल्ली में पिया अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए।एक ही मकसद था कि पढ़ाई पूरी होने के बाद वे आपस में मिलेंगे।

कुछ दिन तो पिया के फोन आते रहे ,लेकिन बाद में पिया का फोन आना बंद हो गया। राहुल ने अपने दोस्तों से संपर्क किया ,सबने उसकी जानकारी देने में असमर्थता जताई ।वह परेशान हो उठा,उसने उसकी सहेली जो बहुत करीब थी पिया के,शिप्रा को फोन किया ,उसने बताया कि पिया के बीमार पिता के बहुत आग्रह पर ,पिया ने शादी कर ली है।राहुल के कान जैसे बहरे हो गए थे,उसे लगा अगर वह कहीं बैठा नहीं तो चक्कर खा कर गिर जाएगा।उसके पैरों तले की जमीन खिसक चुकी थी।पिया बिन क्या करूंगा इस डिग्री और जिंदगी का। पल पल व्यवहार बदल रहे थे।कभी पिया की बेवफाई उसे तोड़ती, तो कभी पिता का ,समाज का उसके प्रति दायित्व याद आता।


चार रातें उसने जाग कर बिताई , मां को ख़बर हुई तो वह टेक्सास पहुंची उन्होंने राहुल को बहुत समझाया। अंत में राहुल ने अपनी जिंदगी को समाज , देश के लिए समर्पित कर ,पढ़ाई पूरी की। वतन वापस लौटा,सारे लोग उसके स्वागत में थे,एक वो एक जोड़ी आंखें नहीं थी ,जिसे याद कर वह जीता था।

उसने वहां ऑप्थामोकोलोजी (नेत्र विशेषज्ञ) की डिग्री ली थी। यहां भारत में उसने मुफ्त नेत्र शिविर लगवा गरीबों को उन्नत तकनीक से इलाज करना शुरू किया।वह बहुत मशहूर हो गया,लेकिन पिया की याद को वह एक पल के लिए भी भूल नहीं पाया।

एक दिन शिप्रा का फोन आया,राहुल तुम जल्दी यहां लखनऊ के राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज पहुंचो,उसने कहा क्या बात है??

शिप्रा ने कहा तुम जल्दी आ जाओ ,कोई बहुत बीमार है।राहुल जल्दी मेडिकल कॉलेज पहुंचा,शिप्रा उसे लेने बाहर आयी थी। दोनों गुमशुम अंदर वार्ड में दाखिल हुए।

पिया वह चौंक गया।बड़ी मुश्किल से पहचान पा रहा था ,सिर्फ उन आंखों ,जिसका वो दीवाना था।सर से बाल गायब थे,चेहरा काला पड़ चुका था।

पिया देखकर खिल उठी ,लेकिन राहुल के दिमाग में बहुत सारे सवाल थे,वह सामान्य नहीं हो पा रहा था। पिया ने अपना दर्द छुपाते हंस कर कहा ,"राहुल _ देश के गिने चुने डॉक्टर साहब ,बधाई।"मैं तुम्हे मरते वक्त देखना चाहती थी,और तुमसे कुछ वचन भी लेना चाहती हूं।बोलो दोगे ?"

"हां पिया ,लेकिन पहले मुझे बताओ ये सब कब और कैसे?"

पिया दर्द से ज्यादा बोल नहीं पा रही थी,शिप्रा ने कहना शुरू किया_ "राहुल ,पिया ने तुमसे का ही बेवफाई नहीं की।जब पी.जी का एक साल बचा था ,तब उसे सर में बहुत दर्द हुआ ,पहले तो वह दर्द की गोलियां खा लिया करती थी,लेकिन उससे भी राहत नहीं मिली तो ,मेरे जोर देने पर उसने टेस्ट कराया।पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर (, ग्लायोब्लास्टोमा,ग्रेड 4) है।उसके बचने का बहुत कम चांस था,इसलिए कि तुम अपनी पढ़ाई ,कैरियर ना छोड़ भारत आ जाओ,पिया ने झूठ कहलवाया था।"

"ओ पिया,तुमने क्यों किया ऐसा" - राहुल पागलों की तरह बोलने लगा।

पिया ने कहा _" राहुल,मैंने एक अनाथ बच्ची,जिसके माता पिता एक हादसे में इसी हॉस्पिटल में दम तोड़ चुके थे ,और उस हादसे में उस दो साल की बच्ची की भी आंखें चली गई थीं। मैंने अपनी आंखें दान कर दी है, मेरे मरने के बाद मेरी आंखें उसे लगा देना।उसकी आंखों से मैं फिर से तुम्हें,और इस दुनिया को देखना चाहती हूं।बोलो राहुल लोगे ये जिम्मेदारी।"

"हां पिया ,तुम मेरे सामने रहोगी ,हमेशा हमेशा।"

दो दिन के बाद पिया इस दुनिया से कूच कर गई।डॉक्टर राहुल ने नैना को पिया की कॉर्निया लगा नया जीवन दिया। आज वही नैना उससे जिद कर रही थी,कैसे ना मानता उसकी बात। पूरे दिन नैना के साथ घूमता रहा,उसकी हर फरमाइश पूरी की उसने ।रात को जोरदार पार्टी।उसकी दुनिया बस नैना थी,वो उसकी आंखें जो उसे पिया से अलग नहीं होने दे सकती थी।



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