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Devaram Bishnoi

Abstract

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Devaram Bishnoi

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आम आदमी

आम आदमी

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मैं तो बस एक आमआदमी था।

परन्तु मेरे मन मस्तिक में सदैव‌ उमड़ रहें साहित्य प्रेम ने मुझे कब साहित्यकार बनने कि होड़ में शामिल कर लिया।

मुझे खुद को भीआज़ दिन तक समझ ही नहींआया पर मुझे अत्यधिक खुशी तब महसूस होती है।

जब मैं कुछ भी कहानी कविता कोट्स लिखता‌ हूं‌,मुझे ऐसा महसूस होता हैंं।

कि जैसे कोई ईश्वरीय शक्ति मुझसे लिखवा रही है एवं मेरी लेखन में मदद कर रही हैं।

क्योंकि मैं तो एकदम नया नयाआप सभी महान् ‌साहित्यकारों के बीच समन्वय स्थापित करके लिख रहा हुं।

और मुझे खुद को भी मेरे लेखन पर भरोसा नहीं परन्तु मुझे अत्यधिक खुशी तब महसूस होती हैं।

जब आप जैसे महान साहित्यकारों कि तरफ़ से मेरी लेखनी पर भी लाइकस‌ शेयर से प्यार मिलता है।

मैंआज़आपके बीच समन्वय स्थापित करके बहुत खुश हुं।

ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि हम सभी साहित्यकारों को सदैव खुश रखें।

हमारे लेखन कार्य में सबको सफलता प्रदान करें।जय हिन्द 



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