Devaram Bishnoi

Inspirational

4.4  

Devaram Bishnoi

Inspirational

"उधारी वसुली"

"उधारी वसुली"

1 min
322


मैंने एक जरूरत मंद व्यक्ति को

कुछ पैसे उधार दियें।

संयोगवश वह बिमार हो गया।

मुझे उधार वसुली कि चिंता।

उसे बिमारी से छुटकारे कि चिंता

मेरे से भारी उसे जीवन कि चिंता।


मैं उससे इस हालात मेंं उधार कैैसे वसुलू।

उसके घर मेंं चुल्हा चौका जलना भारी हैं।

जब वो एकमात्र कमांंऊ बिमार हो गया।

मेरे लिए पैैसे बड़े नहीं इंंसानियत बड़ी हैं।

इसलिए मैंने सब्र कर लिया।

कयोंकि मैं ठहरा इंंसानियत का पुजारी।


किसी कि मजबूरी का फायदा नहीं उठा सकता।

ईश्वर कि मर्जी होगी तभी पैसे वसुली होगी।

यदि जोर जबरदस्ती कि तो 

ईश्लोक एवं परलोक में दोषी हो जायेंगे।

हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

वह जल्द स्वस्थ खाने कमाने लाइक हों।


कमाई कर उधार चुकाने काबिल हो।

तब तक उधार वसूली स्थगित 

करते हैं।

हम ऐसे गरीबों से दुआएं लेेेते हैं।

आप सभी से यही बात कहते हैं।

कभी किसी कि मजबूरी का

फायदा मत उठाना।


सामाजिक भाईचारा इंंसानियत

जिंंदा रहनी चाहिए।

जियो और जिने दो।

आओ हम सबअहिंसा का सिद्धांतअपनाते हैं।

हम सब ऐसे मिलकर दुनियां को स्वर्ग बनाते हैं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational