"ग्रामीण भाईचारा"
"ग्रामीण भाईचारा"
पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर जैसलमेर
बाड़मेर क्षेत्र मेंं वर्षा बहुत कम होती है।
यहां के ज्यादातर लोग एक फसली खेती
एवं पशु पालन पर निर्भर हैं।
यहां पर हर तीसरे वर्ष सुुुखा अकाल पड़ता है।
ऐसे मेेंं खुद का पेट पालने एवं मवेशियों पशुधन के
चारे पानी की व्यवस्था के लिए पशुपालको को
अन्य स्थानों पर पशुधन को लेकर जाना पड़ता हैं।
लेकिन कुछ घरों कि महिलाएं स्कूलों मेंं
पढ़ने वाले बच्चेअपने घरों पर ही रूकते हैं।
उनकी सभी गाँव वाले लोगआपसी सहयोग
से खाने पीने एवं पढाई कि व्यवस्था करते हैं।
सदियोंं से यही सिलसिला चला आ रहा है।
जो कि एक ग्रामीण भाईचारा कि मिसाल हैं।
यह एकअभावों मेेंं जिदंंगी जीने कि कहानी हैं।
यह सूखे एवं अकाल से निपटने की दास्तां हैं।
यह आपसी सहयोग कि अतिउत्तम व्यवस्था
ग्रामीण भाईचारा का मुुुल आधार है।
यह भारतीय संस्कृति का एक उज्वल पक्ष हैं।