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Sajida Akram

Abstract

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Sajida Akram

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#आलिशान हवेली"

#आलिशान हवेली"

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 शिशिर राय "पब्लिक कमिशन सर्विसेज" में सेलेक्ट हो कर राजस्थान में पोस्टिंग हुई ,"आई.पी.एस".बन कर उन्होंने अपनी सारी सर्विस राजस्थान के अलग-अलग शहरों में रह कर गुज़ारी । वैसे मिस्टर राय"कलकत्ता"के रहने वाले थे ।जब-तब छुटि्टयों में कलकत्ता जाते रहते थे। । बड़ी-बड़ी हवेलियां और जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर की ख़ुबसूरती में रच -बस गए थे । मिस्टर राय का नाम"शिशिर राय” था।


राजस्थान इतना भा गया था ।कभी कलकत्ता लौटने का सोचा भी नहीं ।इतने सालों में मम्मी-पापा ने उनकी शादी भी कर दी ।जब मिस्टर राय अपने नई-नवेली दुल्हन को लेकर आए तो डिपार्टमेंट के लोगों के लिए पार्टीकाअरेंजमेंट किया गया। शिशिर राय की वाइफ "शोमिता राय"अपने नाम के अनुरूप ही सुन्दर और आकर्षक महिला थी । पहले-पहल तो शोमिता को "बूंदी" शहर में अच्छा नहीं लगा। वजह थी वो कलकत्ता जैसे बड़े शहर की रहने वाली।वहां का कल्चर बिल्कुल ही अलग, खान-पान भी अलग जो रोज़ ही फिश खाने वाली , यहां तो कौसों दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं वहां कहां "फिश" मिल पाती ।


 बड़ी-बड़ी लॉइब्रेरी और लिटरेचर पढ़ने की आदत यहां तो सिर्फ रेगिस्तान ऊंचें-ऊंचें महल, हवेलियां सब तरफ सूखा ज़मीन भी बंजर , कंटीली झाड़ियों और हवाओं के साथ 'रेत' के गुबार चलते।शिशिर राय की मम्मी-पापा और बहन भी कुछ दिन रह कर कलकत्ता चले गए।अब रह गई 'शोमिता'इतना बड़ा बंगला और वो अकेली उनके"अर्दली" (नौकर)तो बहुत थे ।काम सब हो जाते ,शोमिता कलकत्ता से जो बुक्स लाई थी सब पढ़ डाली ,पर बोरियत ख़त्म होने का नाम नहीं लेती ।  शिशिर अपनी पत्नी को टाइम नहीं दे पाते थे उसका  अफ़सोस तो बहुत था।काम की अधिकता से और ज़िम्मेदारियां बहुत थी ।शोमिता- शिशिर सहपाठी थे। दोनों में कॉलेज के दिनों में ही प्यार हो गया था।


शिशिर अपनी "यूं.पी.एस.सी"के एग्ज़ाम की तैयारी में लग गए थे और शोमिता ने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद ही असिस्टेंट प्रोफेसर की जॉब कर ली थी। शादी के बाद यहां बहुत बोरियत होती थी।


शिशिर राय अपनी पत्नी से कहते थे तुम्हारे पास ड्राइवर है गाड़ी रहती है । थोड़ा राजस्थान देखो यहां की ख़ुबसूरती देखने से ताल्लुक रखती है।शोमिता कह देती आपके बिना अच्छी नहीं लगती है। शिशिर आपका साथ हो तो सब कुछ अच्छा लगे ।उनके पास एक राजस्थानी खाना बनाने वाली आती थी । वो थोड़ी बहुत पढ़ी-लिखी थी ।


  शोमिता को कहती थी "मिसेज राय"आप कहें तो मैं रुक जाया करुंगी और आपको यहां की प्रकृति की खुबसूरती भी दिखाने ले चला करुंगी ।शोमिता हंस कर टाल देती अरे नहीं "फूलन"


एक दिन "फूलन"मानी नहीं "मिसेज राय आप हमारे साथ चलिए शाम को बूंदी के क़िले में "यहां राजस्थान का डांस"कालबेलिया नृत्य" का आयोजन है । मिसेज राय आप "साहब जी" से पूछ लीजिएगा।"


  शोमिता ने शिशिर को फोन पर बताया कि हम आज बूंदी के क़िले में"फोक डांस"देखने चले जाएं क्या? शिशिर ख़ुश हो गया हां -हां ज़रूर मैं भी कुछ मिटिंग हैं उन से फ्री हो कर वहीं पहुंच जाऊंगा। शोमिता ने ड्राइवर से गाड़ी निकालने का बोल कर वो भी तैयार होने चली गई।फूलन और एक दो गार्ड को लेकर बून्दी के क़िले में प्रोग्राम में पहुंच गई और बेताबी से शिशिर का इंतज़ार था। थोड़ी ही देर में शिशिर भी आ गए ।शोभिता की ख़ुशी दौगुनी हो गई।


  शिशिर और शोमिता के यहां दो बच्चे भी हो गए।फूलन व अब भी शोमिता की खानसामा,उसकी हर सुख -दु:ख की साथी रही ।बच्चे बड़े होते गए और शिशिर रिटायर्ड होने को आए ।


  शोमिता ने शिशिर से कहा हमें बून्दी शहर बहुत अच्छा लगता है। वहां से हमारी लाइफ की शुरुआत हुई है, क्यों ना हम वहां मकान ख़रीद ले ।इतने सालों से रहते हुए अब यहीं 'बस' जाने का मन है। कलकत्ता में अब हमारे फेमिली में कोई नहीं रहा है।


  फूलन ने मिसेज राय को बड़ी सी हवेली की जानकारी दी के बेच रहें है । शिशिर और शोमिता बच्चे सब को हवेली पसंद आ गई। हवेली जो बेच रहे थे वो इंग्लैंड में शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने ने जल्दी ही रजिस्ट्रेशन करवा दिया। शोमिता ख़ुश थी ।फूलन और कुछ अर्दली को भेजकर सफाई करवाई । कुछ दिनों में जब सब शिफ्टिंग हो गई तो फूलन ने कहा देखिए**मिसेज राय**ये इतना बड़ा बक्सा मिला है ।मिसेज राय का मुंह खुला का खुला रह गया...;

   

 



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