Dr Jogender Singh(jogi)

Romance Fantasy

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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance Fantasy

आकर्षण या प्रेम

आकर्षण या प्रेम

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तुम आ कर,चले भी गये। अब कोई फ़र्क़ क्यों नहीं पड़ा मुझे ? “ न ख़ुशी आने की, न तेरे जाने का ग़म ”। 

मेरी रग रग पुलकित हो नाचने लगती, तेरे ज़िक्र भर से। दिल तो मानो पसलियों का पिंजरा तोड़ बाहर निकल आयेगा, पर आज ज़रा भी असर नहीं हुआ, न तेरे दीदार का, न रुख़स्ती का।

चेहरा पहले से खूबसूरत और रोबीला हो गया, हलकी हलकी मूँछें, अब बड़ी हो कर, जँच रहीं थी तुम पर। पर मेरे दिल की टीस।तुझे क्यों बताऊँ ?

मन मानने को तैयार ही नहीं कि अब तुम मेरे नहीं रहे। रात की रानी के फूल बीनने मेरे साथ जाने वाला, सारे के सारे फूल मुझे देने वाला किसी और का नहीं हो सकता, भला कोई ऐसे कैसे डरावने सन्नाटे से लिपटी रात को महका सकता है, वो भी बिना प्रेम के ? तुम्हारी उँगली भर छू जाने की याद मेरे बदन में सनसन्नाहट सी भर देती है आज भी, और तुम कहते हो वो प्यार नहीं था।“ वी आर जस्ट फ़्रेंडस एंड रिलेटिवेस ऑल्सो ” यह क्या बेतुका जवाब हमारे प्यार का ? अंग्रेज़ी में कुछ भी बोल दोगे और मैं मान जाऊँगी, जैसे तेरी हर बात मान जाती थी। दोस्ती क्या बिना प्यार के हो जाती है ? झूठे हो एक नम्बर के, मैं पहले से जानती थी, पर दिल करता था, भरोसा करने का, तेरी प्यारी सी मुस्कुराहट,तेरे भोले चेहरे को और भी भोला और पवित्र जो बना देती। कैसे विश्वास न करती तुझ पर। झूठ बोल कर पीछा छुड़ा लिये मुझसे । क्या मैंने देखा नहीं, कैसे सफ़ाई से आँखे पोंछ रहे थे, जाने से पहले, ज़ोर से हंसने की आवाज़ निकालने से आँखे थोड़ी हँसेगी, वो तो रो रही थी ईमानदारी से।वैसे भी तू ऐक्टिंग बहुत गन्दी करता है, “ मत किया कर ऐक्टिंग, जैसा है अच्छा है। पर अब मैं तुझे क्यों समझाऊँ तू मेरा नहीं रहा अब ” सुबकते हुये आध्या बड़बड़ाये जा रही है। 

“आदू ” क्या कर रही है ? पागल हो गयी है यह लड़की,और मुझे भी पागल कर देगी। खाना नहीं खायेगी क्या ? आ जल्दी, मुझे ज़ोर की भूख लगी है।पार्वती ने आवाज़ दी।

आप खा लो, मुझे अभी भूख नहीं।

अजीब हरकतें करती है यह लड़की, आकाश आया तो भी कुछ नहीं खाया इसने, आध्या के कमरे की ओर जाते हुये पार्वती सोच रही थी। सुबह तो ठीक थी, आकाश के आने से कितनी ख़ुश होती थी, पर आज उसके आने से उखड़ गयी। बेटा ! चल खाते हैं, उस के कमरे का दरवाज़ा खोलते हुये पार्वती बोली, अरे !! तू रो क्यों रही है ? क्या हो गया बेटा ?

आँख में कुछ पड़ गया है माँ, मुँह धो लेती हूँ, ठीक हो जायेगा, आप खाना लगाओ, मैं मुँह धो कर आयी, अभी।

ठीक ! जल्दी से आ, खाना ठंडा होने से पहले। पार्वती सोच में पड़ गई, क्या हो गया इसे,क्यों रो रही है ?? 

यह क्या कर रही हो? दाल भी खा बेटा। तूने देखी आकाश की होने वाली बीवी की फ़ोटो ? प्यारी है, अच्छी जोड़ी लगेगी।

“ आपको अच्छी लगी, तो अच्छी ही होगी ” अनमने से आध्या बोली।

तुझे अच्छी नहीं लगी ? प्यारी सी तो है, बी टेक किया है, एम टेक कर रही है।

मैं अच्छी नहीं हूँ क्या ? आध्या एकदम से रोने लगी, मैं भी तो एम एस सी कर रहीं हूँ।

“तू तो सबसे अच्छी है मेरी रानी ” पार्वती उसको चिपकाते हुये बोली।टॉपर भी है तो मेरी बिटिया।तुम्हारा कोई मुक़ाबला किसी से हो ही नहीं सकता।

फिर आकाश मुझ से शादी क्यों नहीं कर सकता ? आध्या ने सीधे पूछ लिया।

ऐसा कैसे हो सकता है? पार्वती का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वो मेरे चचेरे भाई का लड़का है, तो तुम्हारा भी भाई हुआ बेटा।

समाज ऐसी शादी की इजाज़त नहीं देता, देख बेटा यह ख़्याल अपने दिल से जितनी जल्दी हो सके निकाल दे। इस उम्र में यह आकर्षण हो जाता है, सभी को होता है, मुझे भी हुआ था। तेरे लिये हम लोग एक राजकुमार ढ़ूढ़ेंगे, फिर देखना सब भूल जायेगी तू।

और देख आकाश कितना ख़ुश है, हम लोग उसकी शादी में चलेंगे, उस को पता नहीं चलना चाहिये कि तेरे दिल में उसके लिये क्या है।

पर माँ, कैसे कर पाऊँगी मैं ? 

एक महीने बाद शादी है, तेरी एक्स्पर्ट माँ हैं न तेरे साथ, बस तू रोज़ मुझ से बात करेगी। जो भी ख़्याल आकाश के बारे आयें हम दोनो बैठ कर डिस्कस करेंगे। आजमाया हुआ फोर्मूला है, तेरी नानी और तेरी माँ का।

अच्छा !! तो आप को भी हुआ था माँ, आध्या आँखे फाड़ कर बोली।

तो क्या मैं जवान और सुन्दर नहीं थी, पार्वती इठलाते हुये बोली।

“अरे आप तो आज भी बड़ों बड़ों की छुट्टी कर दो, मधुबाला। ” आध्या प्यार से बोली।

ननद हूँ, पैर तो छूने पड़ेंगे भाभी। क्यों आकाश आध्या चहक कर आकाश से बोली।गुलाबी लँहेंगे में ग़ज़ब ढा रही थी आध्या।

तुम जानो और तुम्हारी भाभी, मुझे इस लफड़े में मत डालो, आकाश ने मानो हाथ खड़े कर दिये।

दूर खड़ी पीली साड़ी पहने पार्वती,मुस्कुराती हुई आध्या को प्यार से देख रही थी। उसकी बेटी बड़ी जो हो गयी थी, ज़िंदगी की पहली परीक्षा उसकी बेटी ने पास कर ली थी।

साथ में माँ की परीक्षा में पार्वती भी पास हो गयी थी।

मामड़ू ! चलो खाना खाते हैं, आध्या जब बहुत ख़ुश होती तो पार्वती को मामड़ू ही बोलती।

हाँ चल ! बहुत तेज़ भूख लगी है, संतुष्टता के साथ पार्वती बोली। दोनों निश्चिंत हो खाना खाने लगी।


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