आख़िरी फ़ैसला
आख़िरी फ़ैसला


तीन -चार दिन से रोज़ ही पतिदेव पूछते, तुम चलोगी न मिस्टर श्याम ने 7 तारीख़ को बुलाया है मीटिंग में ?
हर बार जवाब, हाँ ही होता मेरा।
7 की सुबह फिर वही सवाल ।ख़ुद 8 बजे उठकर नहा -धोकर तैयार।
मैं किचेन में दूध,चाय और नाश्ते की जुगत में लगी थी।बच्चे भी तो हैं न !
पतिदेव को नाश्ता दिया।
जैसे ही एक कप चाय लेकर बैठी, वे फिर बोले,चलोगी न ।तैयार तो होओ ?
कुछ न बोल कर तैयार होने चली गई।
वेन्यू पर मिस्टर श्याम ने बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया।
वीमेंस डे पर महिला इन्वेस्टर्स को इन्वेस्टमेंट के लिए सचेत करने की पूरी कवायद थी या कहें बाद में लुभाने की भी थी!
बाहर से एक्सपर्ट आये थे 2 घण्टे विभिन्न पहलुओं पर उनका व्याख्यान हुआ। प्रश्नोत्तर काल भी था।अंत में फीडबैक फॉर्म भर कर देना था।
हम दोनों ने भी पूरा फॉर्म भरा।
वहाँ की एक महिला कार्यकर्ता को देने के लिए जैसे ही मैंने बुलाया तो पतिदेव बोले, सिर्फ़ मेरा फॉर्म देना, तुम्हारी तो कुछ कमाई नहीं है न !
सो उनका ही फ़ॉर्म दिया।
लंच के बाद मिस्टर श्याम ने गिफ़्ट और वीमेंस डे की बधाई देकर विदा किया।