Shafali Gupta

Abstract

4.4  

Shafali Gupta

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आईना

आईना

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नमस्ते!

मुझे पहचाना मे कौन बोल रहा हूं?मै वही हो जिसे आप घर से निकलने से पहले देखते हो। मुझे देखे बगेर आपको ये पता नहीं चलता की आप कैसे लग रहे हो। मै हमेशा सच बोल्ता हो मेरे अनदर झूठ बोलने की कोई घुन्जाईश ही नहीं होती। मुझसे आप अपना सच्चा रूप नहीं छिपा सकते। में आपके घर के द्रेस्सींग एरीआ मे रह्ता हूँ लेकिन मुझे औरतो की एक बात अच्छी नहीं लगती की वो मेरे पूरे शरीर पर तरह - तरह की बिंदी चिपकाकर मुझे गंदा कर देती है।क्यू? मे आपको सच बताता हूँ और आप मुझे गनदा करते हो।याद आया आपको मे कौन हूँ आईना आपका अपना आईना जो कभी झूठ नहीं बोलता।औरतो के पर्स मे पैसे हो ना हो मै जरुर मिलूंगा।हा हा हा। 

मुझे देख कर आपके मन को तस्सली हो जाती है की आपको घर मे कोई तू जानता है।



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