STORYMIRROR

Shafali Gupta

Inspirational

4.0  

Shafali Gupta

Inspirational

Suman Jain-Biography

Suman Jain-Biography

7 mins
260


नमस्ते दोस्तों! कैसे है आप आशा करती हूं आप सभी अपने घरों में स्वस्थ होंगे। आज मैंने बहुत समय बाद कलम उठाई है आज मैं आपके सामने कुछ ऐसा व्यक्त करने जा रहीं हूँ जो एक असली व्यक्ति की जीवनी है। जो एक मध्यम वर्ग परिवार की महिला है जो एक जैन परिवार से है। जिनका नाम सुमन जैन है उनका जन्म 1954 11 जनवरी शाम 5 बजे को दिल्ली में हुआ। जो अपने दो बड़े भाई एवं माता पिता के साथ दिल्ली में स्थित अपने घर में एक खुशहाल जीवन व्यतीत किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ स्कूल से की। वह पढ़ाई में रुचि रखने वाली एक लड़की थी , जिसे अपने जीवन में बहुत कुछ करना था लेकिन उस समय में ज्यादा लड़कियों का पढ़ने-लिखने का प्रचलन नहीं था लेकिन फिर भी उनके माता पिता ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की अपने स्कूल की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए। वह पढ़ाई के साथ साथ और कामों में भी रुचि रखती थीं। उन्होंने सिलाई , कथक का पूरा पूरा कोर्स किया जिसके उन्हें सर्टिफिकेट भी मिले। अपनी गरमी की छुट्टियों में वह ये सब सीखती थी। जिससे पढ़ाई एवं अन्य कोर्स में बाधा न आये और उनकी अपनी रुचि भी पूरी हो जाये। उनका सपना था कि वह डॉक्टर बने जिसके लिए उनको अपने घर से प्रोत्साहन भी मिला।

वह दिगंबर जैन परिवार से होने के कारण धर्म के कार्यों में भी आगे थे महाराज जी के आहार में और उनके दर्शन करने में भी उनकी रुचि है। उनका परिवार धर्म के प्रति रुचि रखने वाला था। उनके पिताजी एवं माताजी नित नियम मंदिर जाने वाले। रात होने से पहले खाना खाने वाले थे। उनके बड़े भाई भी धर्म के कार्यों में आगे रहने वाले है। उनके छोटे भाई जो इंजीनियर है वह अभी अमेरिका में अपने परिवार के साथ खुश है। सुमन जैन पढ़ाई में हमेशा ही अच्छे अंक लाती थीं और उनकी पढ़ाई के प्रति इतनी रुचि थी कि उन्होंने सोचा कि वह साइंस लेकर डॉक्टर बनेगी। लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वो इतनी बीमार हो गई कि वह दसवीं क्लास की परीक्षा नहीं दे पायी उनके फेफड़ों में पानी भर गया था और उनका वो साल खराब हो गया। उस समय दसवीं क्लास में बोर्ड की परीक्षा नहीं होती थी। लेकिन वो निराश नहीं हुई। उन्होंने अपने अंदर ठान लिया था कि वह अपना साल खराब नहीं होने देंगी। जब वो अपनी बीमारी से ठीक हुई तो उन्होंने दुबारा से ठाना की वो अपना साल बर्बाद नहीं होने देंगी। उन्होंने अपनी दो साल की पढ़ाई का कोर्स एक साल में समाप्त किया क्योंकि वो पढ़ाई में बहुत मेहनती थी और सब कामों में रुचि लेने वाली थी। वो कहते हैं ना कोशिश करने वालों की हार नहीं होती , हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर आपने जीवन में कुछ अपना लक्ष्य बना लिया और सोच लिया कि करना ही है तो कुछ नामुमकिन नहीं है बस करने की लगन होना जरूरी है। बस इसी लगन ने उनका साल बर्बाद होने से बचा लिया लेकिन वो कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पढ़ता है। ऐसा ही उनके साथ हुआ। उनका साल तो बच गया लेकिन उनका डॉक्टर बनने का सपना टूट गया क्योंकि उनको अपना साल बचाने के लिए अपना विषय बदलना पढ़ा उन्होंने साइंस की जगह आर्ट्स लिया। उसके बाद स्कूल के बाद उन्हें कॉलेज जाना था उनकी इच्छा थी कि वो दिल्ली विश्व विद्यालय से अपनी डिग्री हासिल करे लेकिन विश्व विद्यालय में दाखिला लेना ना उस समय आसान नहीं था। आज कल फिर भी आसान है। फिर भी बारहवीं में अच्छे अंक प्राप्त होने के कारण उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में इको आनर में दाखिला मिला। दौलत राम दिल्ली विश्वविद्यालय का बहुत अच्छा कॉलेज माना जाता है। फिर वक़्त बीतता गया और देखते ही देखते उनकी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो गई लेकिन वो अभी आगे पढ़ता चाहती थी फिर परिवार

के सहयोग से उन्होंने एम ए किया। अपने सपनों को पूरा करने के लिए परिवार का सहयोग बहुत जरूरी होता है। बिना परिवार के सहयोग से आप जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते। उस समय इतनी पढ़ाई करना बहुत बड़ी बात होती थी क्योंकि लड़कियों को पढ़ाने का प्रचलन तब कम था। कोई कोई परिवार ही लड़कियों को पढ़ाने के लिए आगे बढ़ाते थे लेकिन इन्हें अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला जिसके चलते इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने बाद हर परिवार को लगता है कि लड़की की शादी कर देनी चाहिए। ये एक परिवार की बात नहीं है हर परिवार की ये ही सोच है। चाह वो किसी भी वर्ग की हो। इनके लिए भी लड़का तलाश करना शुरू कर दिया लेकिन तलाश करनी शुरू की ही थी कि इनके बुआ के लड़के की दुकान पर कोई परिवार ख़रीदारी करने आए तो बातों बातों में पता चाला की वो भी जैन परिवार से है और बहुत अच्छा परिवार है और वह भी अपने छोटे बेटे के लिए एक लड़की की तलाश कर रहे है जो पढ़ी लिखी हो और अच्छे परिवार से हो। लड़के के परिवार एक जमींदार परिवार से था। लड़के के परिवार में उसके चार भाई , चार भाभी, एक बहन और एक जीजा थे और अपने माता पिता के साथ एक ख़ुशहाल परिवार था। जहाँ सब एक साथ मिल जुटकर रहते थे। लेकिन आज कल इतना बड़ा परिवार कहा देखने को मिलता है। उस समय ये परिवार आर्थिक रूप से बड़ा सक्षम माना जाता था। दो कार , नौकर चाकर सभी थे। ये सब सुनकर हर लड़की के माँ बाप को लगता है कि बहुत अच्छा रिश्ता है। जाँच की जाने के बाद आगे की कार्रवाई शुरू की गई। कुछ समय बाद विवाह निश्चित हो गया। जनवरी के महीने में बड़ी धूम धाम और हँसी खुशी से विवाह किया गया। क्योंकि परिवार की

इकलौती लड़की और दो भाइयों की एक बहन थी। विवाह करने में कोई कमी नहीं की गई। आँखों में बहुत सारे सपने लिए उन्होंने एक नयी जिंदगी की तरफ कदम बढ़ाया। हर लड़की की तरह उनके दिल में भी एक घबराहट सी थी कि एक नया परिवार है कैसे लोग है ये। इस घर के क्या नियम होंगे ये सब कैसे होगा लेकिन उनका डर वक़्त के बीतने के साथ धीरे धीरे कम होने लगा और वह अपनों शादी शुदा जिंदगी हँसी खुशी बिताने लगी। समय बीतता गया फिर उनकी जिंदगी ने एक नयी करवट ली और उनके यहां एक बेटी पैदा हुई जिसने उनको पहले बार माँ कहकर पुकारा। वह छोटी सी गुड़िया अपने मम्मी पापा की लाड़ली थी फिर वह अपनी बेटी का पालन पोषण करते समय बीतता गया और एक बार और उनकी जिंदगी ने करवट ली उनके यहां चांद जैसा बेटा हुआ जो घर घर सबका लाडला था। क्योंकि बड़े परिवार का सबसे छोटा बच्चा था। बच्चों का पालन पोषण करने में वो व्यस्त रहने लगी और अपना जीवन हँसी खुशी बिताने लगी। बहुत समय बीत गया अब उनकी बेटी बढ़ी हो गई। उन्होंने अपनी बेटी को भी वैसे ही पढ़ाया लिखाया जैसे वह खुद पढ़ी लिखी थी और नौकरी करने के लिए प्रेरित किया। हर माँ बाप की तरह उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक अच्छे परिवार में की। उन्होंने अपने बेटे को भी पढ़ाया लिखाया और एक अच्छी नौकरी करने के लिए प्रेरित किया। जब उनका बेटा एक जिम्मेदार इंसान बन गया तो उन्होंने उसका विवाह भी कर दिया ऐसे उन्होंने अपने दोनों बच्चों का विवाह एक अच्छे परिवार में किया। फिर कुछ समय बीता और कुछ सालों बाद उनके जीवन में एक बड़ा तूफान आया उनके पति उन्हें छोड़कर इस दुनिया से चले गए। वैसे तो उनके जीवन ने बहुत बार करवट ली लेकिन ये एक ऐसा तूफान था जिसने उन्हें हिलाकर रख दिया। उनको सम्भलने में बहुत समय लगा। लेकिन वो बहुत हिम्मत वाली है। अपने आप को सम्भालने की पूरी कोशिश करती है। माँ बाप दो का फर्ज अकेले निभा रही है और आज भी वो खुशी वाला जीवन व्यतीत करने की कोशिश कर रहीं है। बस अंत में आपसे मैं ये ही कहना चाहूंगी आज जो मैंने कलम उठाकर जिसके बारे में आपको बताया मैं उनकी बेटी हूँ। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational