Shafali Gupta

Inspirational

4.1  

Shafali Gupta

Inspirational

परिवार!

परिवार!

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एक दिन मेरी एक सहेली मेरे घर आयी उसका नाम था संगीता। वो मेरे साथ स्कूल में पढ़ती थी वो बोली क्या मुझे अपना एक ड्रेस उधार देगी? मैंने बोला क्यूँ क्या हुआ ? वो बोली मुझे किसी के शादी में जाना है लेकिन एक ही ड्रेस मैं बहुत बार पहन चुकी हूँ तो अब मेरा उसको पहनने का मन नहीं है । मैंने उसको अपना एक ड्रेस दे दिया लेकिन मुझे कुछ अटपटा सा लगा कि अचानक उसने मुझसे ड्रेस क्यूँ मांगी फिर भी मैंने उससे कुछ नहीं पूछा अगले दिन वो स्कूल आयी तो हमारी एक और सहेली का जन्मदिन था वो हम सबको घर बुलाना चाहती थी तो हम सब क्लास की लड़कियां तयार हो गयी उसके जन्मदिन पर जाने के लिए लेकिन मेरी सहेली संगीता चुप थी उसने कुछ नहीं बोला मैंने बाद में उससे पूछा कि क्या हुआ बहुत पूछने के बाद उसने बताया कि उसके पापा को व्यापार में बहुत बड़ी हानि हुई है जिसके कारण ही वो उस दिन भी ड्रेस लेने आयी थी और वो इसी कारण से जन्मदिन की पार्टी में शामिल नहीं हो रहीं है क्योंकि ना तो उसके पास अच्छा सा ड्रेस है ना ही वो ऐसी स्थिति में है कि वो अपने पापा से गिफ्ट के पैसे मांग ले । मैंने उसको बोला कोई बात नहीं हम मिलकर गिफ्ट ले लेंगे और मैं भी अपनी कोई पुरानी ड्रेस पहन लेती हूं और तू भी पुरानी ड्रेस पहन ले फिर हम दोनों एक जैसे ही लगेंगे तुझे ऐसा नहीं लगेगा कि तूने अकेले ही पुरानी ड्रेस पहनी है उसे ये सुनकर अच्छा लगा लेकिन वो बोली तू मेरी वज़ह से पुरानी ड्रेस क्यूँ पहन रहीं है मैंने बोला तेरी वज़ह से नहीं पहन रही मेरे पास भी इस समय कोई नयी ड्रेस नहीं है। इस तरह मैं उसे जन्मदिन कि पार्टी में तो ले गयी लेकिन वो मन ही मन अपने परिवार की आर्थिक स्थिति से परेशान थी वो अपने घर में सबसे छोटी थी एक बड़ा भाई और तीन बड़ी बहने भी थी उसकी । उसके बड़े भाई की भी कोई नौकरी नहीं लाग पायी थी ना ही उसका अपना कोई व्यापार था और बाकी उसकी तीन बहने पढ़ाई कर रहीं थीं।

एक दिन संगीता मेरे घर आयी और बोली कि सबसे बड़ी दीदी नानी के घर जा रहीं है वहां जाकर वो बीएड करेंगी मेरी नानी उनको बीएड करवा रहीं है उसकी नानी मेरठ रहती है। बीएड के बाद उनकी नौकरी अच्छे स्कूल में लग जाएगी। ऐसे ही दिन बीतते गए । एक दिन संगीता के चाचा उनके घर आय उन्होंने बताया कि उनके लड़के का रिश्ता हो गया है अब उसको ये चिंता हुई कि अब क्या होगा । मैंने बोला सभी ठीक हो जाएगा चिंता मत कर तू मेरे कपड़े ले लेना और आंटी के लिए मैं अपनी मम्मी की अच्छी सी साड़ी दे दूंगी और बाकी दीदी के लिए हमारी एक और सहेली की बड़ी बहन है उनके कपड़े आ जाएंगे ऐसा करके कपड़ों की समस्या तो हल हो जाएगी ये सुनकर वो रोने लगी कि कैसे दिन आये है पता नहीं सब कब ठीक होगा मैंने संगीता को बोला तू चिंता मत कर हर रात की सुबह होती है अच्छे दिन नहीं रहे तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे फिर सब ठीक होगा फिर जब सब ठीक हो जाएगा तो ये दिन भी तू भूल जाएगी ।

समय बीता और उसकी दीदी मेंरठ से बीएड करके वापस आ गयी अब उनको तलाश थी एक अच्छी सी नौकरी की जिससे वो अपने घर की आर्थिक स्थिति सम्भाल सके इस समय उनके मामा सामने आए जिन्होंने दीदी को एक स्कूल का सुझाव दिया और बोले कि वहां वो अपना बाइओडाटा दे और कोशिश करे शायद वहां हो जाये और वहीं हुआ एक सरकारी स्कूल में उनकी नौकरी लग गयी मुझे आज भी वो दिन याद है जब दीदी की नौकरी लगी थी मैं भी शाम को उनके घर गयी थी आंटी के आंसू रुक नहीं रहे थे यह शायद खुशी के आँसू थे अंकल बोले सबके सहयोग से बुरे दिन कट गए अब अच्छे दिनों की शुरुआत होगी एक दिन संगीता के चाचा जी घर आय उन्होंने सुझाव दिया कि संगीता के बड़े भाई को अपना व्यापार शुरू कर देना चाहिए तो अंकल बोले कि क्या उन्होंने बोला मेरा एक छोटा सा मकान खाली है वहां वो छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस लगा सकता है मशीन का इन्तेजाम वो कर देंगे अंकल बोले नहीं मैं किसी से कर्जा नहीं लूँगा तो चाचा जी बोले आप ऐसा करो जो गाँव की ज़मीन है वो बेच दो । अंकल बोले कोई खरीदार नहीं है तो चाचाजी बोले मैं खरीद लेता हूँ ऐसा करने से आपका काम भी हो जाएगा और कर्जा भी नहीं चढ़ेगा। ये सुझाव अंकल को अच्छा लगा । देखते ही देखते संगीता के भाई की प्रिंटिंग प्रेस शुरू हो गयी और धीरे धीरे सब ठीक होने लगा और अंकल भी भैया की प्रिंटिंग प्रेस जाने लगे दूसरी वाले दीदी का भी सीए पूरा हो गया अब उनको भी एक नौकरी की तलाश थी उनके ताऊजी की मदद से उनकी भी नौकरी लग गयी अब धीरे धीरे संगीता खुश रहने लगी अब वो किसी के जन्मदिन में जाने के लिए मना नहीं करती थी। संगीता और मैं पक्की सहेली थी उसके परिवार को खुश देखकर मेरा परिवार भी बहुत खुश था अब हमने भी बारवि कक्षा के पेपर दे दिए थे और हमारी भी कॉलेज जाने की तयारी थी उसकी तीसरी नंबर की दीदी का कॉलेज भी पूरा हो गया था उन्होंने भी सोचा कि वो भी बीएड करेंगी और घर की स्थिति को संभालेंगे इसलिए उनकी नानी ने फिर एक बार कदम बढ़ाया और उनको मेरठ से बीएड करवाया। समय बीता और उनका बीएड पूरा हो गया और उनकी भी उनके मामा जी की मदद से स्कूल में नौकरी लग गयी अब उनके घर की स्थिति ठीक हो गई। 

 परिवार के हर सदस्य के सहयोग के कारण एक परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हो गयी सारा परिवार खुशहाल हो गया 

सब रिश्तों से बनता परिवार परिवार है इश्वर का उपहार।!


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