Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Abhishek Gaurkhede

Abstract

3.8  

Abhishek Gaurkhede

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आभास

आभास

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राजेश वर्धा में रहता था , राजेश की मम्मी रिश्तेदार से मिलने मुंबई गयी थी ,उसको अपनी मम्मी को लेने के लिये मुंबई जाना था , लेकिन लॉक डाउन लगने के कारण उसको घर पर ही रहना पड़ा , शुरू में सब सही चल रहा था , क्युकी लॉक डाउन में छूट थी , लोग एक समय के लिये घर से आना जाना कर सकते थे ।लेकीन मरीज बढ़ने के कारण , बाहर निकलना पूरी तरह से बंध कर दिया गया , अब राशन भी घर पर ला कर देने लगे , बाहर जाना जैसे बिलकुल बंध ही कर दिया गया ।धीरे धीरे दिन बीतने लगे ऐसे ही २ महीने बीत गये , अब धीरे धीरे राजेश को घर काट ने लगा था , उसको घर पर रहना बहुत बोर होने लगा , लेकिन करता भी क्या घर से बाहर तो जा नही सकता था ।तो उसने सोचा क्यू न दोस्तो को घर पर बुला लिया जाये , फिर सोचा कि लॉक डाउन है, उन लोग घर पर कैसे आयेगे , तभी भी उसने सोचा चलो एक कोशिश करके देखते हैं शायद कूछ जुगाड लगा कर उन लोग आ जाये और ऐसा हो जायेगा तो उसकी बोरित भी दूर होगी, तो अपने दोस्त को फोन लगा कर बोलता है , यार घर पर अकेला हूँ , बहुत बोर हो रहा , तुम लोग कूछ भी करके घर आओ । शाम का समय दिखते है , राजेश , संजय, शिखा ताश खेल रहे है , तभी संजय बोलता है , भाई कुछ खाना खिलायेगा कि बस ताश ही खिलाते रहेगा , फिर राजेश सबके लिये खाना बनता है, सब मिलकर खाना खाते है ।ऐसे ही २-३ दिन बीत जाते है , और लॉक डाउन भी समाप्त होने का दिन भी नजदीक आने को रहता है ।लेकीन एक दिन राजेश और संजय का किसी बात को लेकर झगड़ा हो जाता है ।राजेश और संजय के बीच में झगड़ा इतना बढ जाता है कि , वो एक दूसरे के खून के पायसे हो जाते हैं , संजय चाकू लेकर राजेश कि तरफ बढ़ता है , शिखा दोनो के बीच बचाव का काम करती है , लेकिन दोनो में से कोई भी सुने को तैयार नही होता और संजय के हाथो से राजेश का गला कट जाता है और राजेश की मौके पर ही मौत हो जाती है । २ दिन बाद ,अब लॉक डाउन खत्म हो चुका है , और राजेश कि मम्मी ने राजेश को बहुत फोन किया , लेकिन कोई जवाब न मिलने पर उन्होने ने पड़ोसियो से बात की, और उनमें से एक ने घर जा कर देखा , तो राशन घर के बाहर ही पड़ा है , और आवाज देने पर कुछ भी जवाब नही आने पर , सोचा शायद पीछे कि तरफ हो तो उसने पीछे कि तरफ गया , जैसे ही वो वाहा पहुचा , उसको एक बहुत गंदी बद्बू आने लगी , और फिर से आवाज देने पर भी कोई जवाब न मिलने पर , उसने तुरंत पुलिस को फोन किया । पुलिस आई और राजेश के घर का दरवाजा तोड़ा , अंदर का नज़ारा बहुत भयानक था , राजेश खून में लथ पथ था , और पता चला कि राजेश कि मौत दो दिन पहले ही हो चुकी थी ।पुलिस की पूछताज में पता चला की ,कोई भी उसके घर नही आया था , और पुलिस ने आत्महत्या है सोच कर केसबंद कर दिया ।राजेश कि मां को फोन करके खबर दे दी गयी ।वो और उनके रिश्तेदार घर पर आये । राजेश की मा से पता चला कि राजेश को कुछ साल पहले डिप्रेशन की समस्या थी ।पुलिस ने सोचा की शायद डिप्रेशन में आकार खुद को मार लिया ... तभी पुरी पीछलि कहानी चलती है ।जब राजेश अपने दोस्त को फोन करता है , और वाहा पता चलता है , की राजेश ने किसी को फोन नही किया था , और जो शाम को दोस्तो के साथ ताश खेलते हुए दिखते है , वो अकेले ही ताश खेल रहा है और पते 3 जगह बाटा है , खाना भी अकेले ही खा रहा है , लेकिन थाली 3 थी , और जब लड़ाई हुई थी , तो वो खुद था जो खुद से लड़ रहा था , और खुद को उसने मार डाला , ये सब राजेश के दिमाग से पैदा हुई चीजे थी , जो न होते हुये भी वहां आ गयी और राजेश इतना डिप्रेशन में जा चुका था ,की वो चीज़ों का आभास करने लगा था ।जिसे ये सारी चीजे पैदा हो गयी और आखिर राजेश ने डिप्रेशन के कारण खुद को मार डाला |


The End .



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