ई - पार्ट ३
ई - पार्ट ३


AFTER 6 MONTH
रितेश और अरुण पार्क मे बैठे और एक दूसरे से बात कर रहे है कि तभी रितेश कि नजर एक लड़की पर जाती है और रितेश बस उसके के चेहरे में खो जाता है की तभी अरुण उसको बोलता है।
अरुण : "रितेश रितेश (दो बार उसको हाथ लगा कर उसका नाम पुकारता है) कहाँ खो गया भाई।
रितेश : अरुण यार वो लड़की को देख कितनी सुंदर है।
अरुण : हां है तो मगर ऐसे क्यूँ बोल रहा है तू।
रितेश : भाई " i think i like her " और सच्ची बोलूं ऐसा लग रहा है मुझे उसे प्यार हो गया है पहली नज़र वाला।
अरुण : अच्छा और ये "i think " तेरा (अरुण count करता है १,२,३,४,५,६,७,८,९,१०,११,१२,१३,१४,१५,१६ १७ वा पहली नज़र वाला प्यार है न।
रितेश : नहीं यार सच्ची मेरी एक हेल्प करेगा इसके बारे मे पता कर न इसका नाम, कहाँ रहती है, क्या करती है सब कुछ।
अरुण : भाई यार तेरा प्यार जैसे सावन सोमवार जैसे वो हर वीक में आता है वैसे ही तुझे प्यार भी हर वीक होता है।
रितेश : तू पता करेगा कि नहीं ।
अरुण : दोस्ती की है निभानी तो पड़ेगी ही।
रितेश :अबे डाइलॉग मत मार जो बोला है वो कर।
अरुण : ओके बॉस।
NEXT DAY
अरुण रितेश घर जाता है और उसको उस लड़की के बारे में बताता है।
अरुण : भाई तेरा लक अच्छा है।
रितेश : क्यूँ
अरुण : वो लड़की ने अपने कॉलेज में ही एड्मिशन लिया है और वो अपने क्लास मे ही है।
रितेश : (खुश होकर ) सच्ची भाई
अरुण : (थोड़े मज़ाकिया अंदाज़ मे) नहीं वो लड़की बॉक्सिंग चैम्पियन है और वो एक लड़के को ढूंढ रही है जो उसको कल घूर घूर कर देख रहा था।
रितेश : अबे मज़ाक मत कर
अरुण : अच्छा बेटा मज़ाक समझ आ गया, मगर तेरे लिए इतनी इन्फॉर्मेशन निकाल कर लाया उसकी कोई कीमत नहीं ।
रितेश : अरे तू तो नाराज़ हो गया सॉरी भाई उसका नाम क्या है।
अरुण : ईशा ईशा देसाई(स्माइल करते हुए) और रोज़ शाम वो उस पार्क मे आती है अपने फ्रेंड के साथ घूमने और तुझे याद हो तो ये वही ईशा है अपनी ट्यूशन वाली।
रितेश : सच्ची क्या भाई, तू भी तो मेरा फ्रेंड चल आज शाम को फिर मेरे साथ घूमने लेकिन उसे पहले एक काम करना है।
अरुण : क्या ?
रितेश : तू शाम को ही देख लेना शाम को मिलते है।
अरुण : अच्छा अभी मैं घर जाता हूँ शाम को मिलता तेरे से ,
अरुण घर के लिए निकाल जाता है।
अरुण रितेश का इंतज़ार कर रहा है और थोड़ी देर बाद रितेश आता है।
अरुण : कहा था तू साले कब से तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ मुझे बुलाकर कर तू खुद कहा गायब था।
रितेश : तू हाथ देख मेरा
अरुण : अच्छा हाथ मे क्या उसका नाम लिखकर लाया क्या ( अरुण रितेश का हाथ देखता है) ,अबे साले तू तो सही में उसके नाम का टेटु बना लिया बे।
रितेश : हाँ लेकीन अभी टेम्पेररी है।
अरुण : परमानेंट बना लेता भाई थोड़े और पैसे दे के यहाँ साला लड़की का बस नाम पता चला है भाई साहब ने उसके नाम का टेटू बना लिया है पता नहीं लड़की हाँ बोल देगी तो क्या क्या बना लेगा ये।
रितेश : अबे हाँ बोल देगी तो पेरमानेंट भी बना लूँगा अभी तू चल वो आ गयी होगी।
अरुण और रितेश पार्क के अंदर जाते है और ईशा को ढूंढने में लग जाते है।
रितेश : यार ईशा कहीं नज़र नहीं आ रही है।
अरुण : होगी इधर ही कहीं अपने रितेश का इंतज़ार कर रही होगी।
रितेश : अबे तू मज़ाक मत कर और तभी रितेश को ईशा दिख जाती है।
वो अरुण को बोलता है भाई ईशा
अरुण :
भाई अब आगे क्या करना है।
रितेश : क्या करना है मतलब।
अरुण : ये जो तू उसके नाम का टेटू बनाया है उसको कौन बताएगा।
रितेश : कौन क्या ? हम लोग ही बताएँगे।
अरुण : अच्छा वो कैसे ?
रितेश : तू देख बस, चल थोड़ी जोगगिंग कर लेते है आज।
अरुण : अबे तुझे पता है न, मुझे दौड़ना बिलकुल पसंद नहीं।
रितेश : अबे मैं तेरे को दौड़ने थोड़ी बोल रहा हूँ बस थोड़ी सी जोगिंग और ईशा तक पहुँचने के लिए चल शुरू हो जा।
रितेश और अरुण जोगिंग शुरू करते है और वहां जाते है जा ईशा अपनी फ्रेंड के साथ बेठी है और वहां पहुँच कर उसके सामने exercise शुरू कर देते है।
रितेश : अरुण पहले अपने दोनों हाथ ऐसे फैला ( पहले दोनों एक फैला था है, फिर हाथ ऊपर की तरफ लेता है फिर हाथ चेस्ट की तरफ लेता है फिर हाथ नीचे की तरफ लेता है )
अरुण : अच्छा बेटा न्यू तरकीब निकाले हो लड़की को अपना बनाने के लिए और अपना टैटू दिखने के लिए।
दिशा जो की ईशा की फ्रेंड है उसको बताती है ईशा देख उस लड़के ने तेरा नाम लिखा है अपने हाथ पर।
दिशा : ईशा देख उस लड़के ने तेरा नाम लिखा है अपने हाथ पर।
ईशा : नहीं यार किसी और के लिए होगा।
दिशा : ये जरूर तेरे लिए है क्योंकि मैं तब से इन दोनों को नोटिस कर रही हूँ ये जरूर तेरे लिए इधर आए है तू रुक मैं अभी पूछती हूँ।
ईशा : दिशा दिशा रूक।
दिशा रितेश के पास जा कर बोलती है।
दिशा : पार्क में कोई इतने ज़ोर ज़ोर आवाज़ में एक्सर्साइज़ करता है क्या ?
की तभी अरुण बीच में बोलता है
अरुण : हम लोग करते है भई।
दिशा : तब से मैं तुम दोनों को नोटिस कर रही हूँ तुम लोग हम लोगो को ही देख रहे हो।
अरुण : मैडम सिर्फ आपकी फ्रेंड ईशा को न की आपको।
दिशा : अच्छा और वो क्यूँ ?
अरुण : क्योंकि मेरा ये जो दोस्त है आपकी दोस्त से प्यार करने लगा है और रितेश जरा हाथ दिखना उसके नाम का टेटु भी बनाया है।
दिशा : वो तो मैं देख ही रही हूँ।
रितेश : अगर तुम समझ रही हो मेरे जज़्बात तो अपने फ्रेंड से कह दो मेरे दिल की ये बात।
अरुण : वाह अब तो ये शायर भी हो गया है।
दिशा : देखो मिस्टर ये रोड साइड रोमियो बनाना बंद करो और यहाँ से निकालो।
रितेश : मगर....,
दिशा और ईशा दोनों पार्क से चले जाते है।
अरुण : वह बोली हम दोनों को निकलने और खुद ही चले गए।
मगर रितेश रोज़ शाम को पार्क जाना नहीं छोड़ता है और ऐसे ही धीरे धीरे दोनों की पार्क में ही बातें शुरू होती है और एक दूसरे से प्यार करने लगते है एक दिन रितेश और ईशा पार्क मे बैठ कर बात करते रहते है की तभी किसी की आवाज़ सुनाई आती है।
लड़का : ’”प्लीज कोई मेरी हेल्प करो मेरे भाई को मिर्गी का प्रोब्लेम है।
उसके भाई का शरीर अकड़ जाता है और उसके मुँह से झाग निकलते रहता है, उसको चोट लगी उसको उठाने मैं मेरे मदद करो।"
ईशा : रितेश यहाँ से चलो मुझसे ये सब नहीं देखा जाता चलो यहाँ से मुझे बहुत अजीब फील हो रहा है।
रितेश : ईशा उस लड़के को प्रोब्लेम हो रही है हमे उसकी हेल्प करनी चाहिए |
ईशा : वो हमारी प्रोब्लेम नहीं है चलो यहाँ से उसका भाई देख लेगा ऐसे लोगो से मुझे अजीब तरफ सी घिन होती है।
फिर रितेश और ईशा वहां से चले जाते है।
रितेश रूम पर अकेला है और बार बार उस लड़के का चेहरा उसके सामने आते रहता है और सोचता अगर ईशा को ये पता चलेगा की मुझे भी मिर्गी है तो वो भी मुझे छोड़कर चली जाएगी।
TO BE CONTINUED……