600 रुपये day-17
600 रुपये day-17
"प्लीज गिव मी वन बोतल ऑफ़ बीयर। ",साक्षी ने झिझकते -झिझकते कहा।
"ओके मैडम। ",दुकानदार ने सहजता से साक्षी को एक बोतल दे दी थी।
दुकानदार ने एक लड़की द्वारा बीयर बोतल खरीदने पर किसी तरीके की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। उत्तर भारत के एक शहर में रहने वाली साक्षी सुखद आश्चर्य से भर गयी थी। साक्षी अपने ऑफिस के किसी काम से दक्षिण भारत के एक खूबसूरत शहर में आयी हुई थी।
साक्षी ने तुरंत अपनी कॉलेज की सहेली नताशा को फ़ोन किया। दो -तीन घंटियों के बाद नताशा ने फ़ोन उठा लिया था।
"यार ,नताशा यहाँ पर तो लड़कियाँ भी आसानी से बीयर खरीद सकती हैं। सही में प्रकृति तो भेद बनाती है ;भेदभाव तो हम ही बनाते हैं। ",साक्षी ने नताशा के फ़ोन उठाते ही ,उत्साहित होकर बताने लगी।
"अरे कहाँ ? आज तो तू मेरे जैसे बात कर रही है। ", नताशा ने कहा।
"अरे यार ,ऑफिस के काम से साउथ इंडिया आयी हुई थी। आज कॉलेज के दिनों की याद ताज़ा हो गयी। चल तुझे बाद में कॉल करती हूँ। ",साक्षी ने फ़ोन रख दिया था।
साक्षी की बातों ने नताशा को अपने सबसे सुनहरे दिनों ,कॉलेज के दिनों में पहुँचा दिया था। जब हम पढ़ाई करते हैं ;तब लगता है कि जल्दी से पढ़ाई समाप्त हो ;स्कूल ख़त्म हो ;कॉलेज ख़त्म हो। लेकिन स्कूल -कॉलेज छूटने के बाद हमें सबसे ज्यादा वही दिन याद आते हैं।
नताशा एक बहुत ही पारंपरिक परिवार से ताल्लुक रखती थी , लेकिन सौभाग्य से उसके पारंपरिक परिवार ने उसकी शिक्षा के संबंध में कभी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। उन्होंने उसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की अनुमति दी और नताशा ने एक सह-शिक्षा इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया।हर आम मध्यमवर्गीय हिन्दुस्तानी परिवार की तरह नताशा के परिवार में बीयर,सिगरेट आदि का उपयोग वर्जित था।
बीयर आदि पीने वाले लोगों को एक अच्छा इंसान नहीं माना जाता था। नताशा का खुद का भी बीयर आदि पीने वालों के प्रति एक नकारात्मक रवैया था। वह भी यही मानती थी कि ,"ऐसे लोग अच्छे नहीं होते हैं। "अब उसे समझ आया है कि ,"यह हर किसी की निजी पसंद -नापसंद का मामला होता है। ऐसे पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है ;लेकिन व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार के आँकलन का यह एक मात्र माध्यम नहीं हो सकता।
लेकिन जब नताशा ने कॉलेज जाना शुरू किया तब कभी-कभी उसने अपने सहपाठियों के अनुभवों के बारे में सुना, जिन्होंने सिर्फ एक या दो बार बीयर और सिगरेट पी थी।
तब नताशा और उसकी दोनों दोस्त साक्षी और आयशा ने सोचा कि कम से कम एक ही बार सही ,लेकिन जीवन में एक बार उन चीजों का स्वाद तो लेना ही चाहिए। जैसा कि कहा भी जाता है कि जितना ज्यादा मानव पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, मानव उन प्रतिबंधों को उतना ज्यादा ही तोड़ने की कोशिश करेगा।
नताशा ,साक्षी और आयशा तीनों का ही एक-दूसरे के घर आना -जाना था। एक बार नताशा के मम्मी-पापा को एक सप्ताह के लिए अपने पैतृक गांव जाना था। साक्षी और आयशा दोनों नताशा के साथ रहने के लिए उसके घर आ गए थे। घर में अकेले रहते हुए ,उन तीनों ने कुछ खुराफात करने की योजना बनाई। उन्होंने सोचा कि ,"क्यों न एक बीयर लायी जाए और चखकर देखी जाए। "
अब सबसे बड़ा सवाल था कि ,"बीयर कहाँ से लायी जाए ? "लड़की होने के नाते उनके लिए बीयर खरीदना बड़ा ही मुश्किल था। किसी लड़की द्वारा दुकान पर जाकर बीयर खरीदकर लाने की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
नहीं, नहीं, सरकार ने लड़कियों पर इस तरह के कोई प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। ये प्रतिबंध समाज द्वारा लगाए गए हैं। एक लड़का कहीं से भी बीयर खरीद सकता है और पी भी सकता है और समाज इस पर ज्यादा सवाल भी नहीं करेगा। लेकिन अगर एक लड़की बीयर की दुकान के बाहर खड़ी खड़ी भी हो जाए तो कई आंखें और उंगलियां उस पर उठ जाती है।
तीनों सहेलियाँ अपने साथ पढ़ने वाले किसी लड़के को भी बीयर लाने के नहीं कह सकती थीं। खुद बीयर पीने वाला लड़का भी उनके लिए इ गलत राय कायम कर सकता था। तब तीनों ने मिलकर एक योजना बनाई, नताशा और साक्षी ने जीन्स और टी-शर्ट पहन ली और दुपट्टे से अपना चेहरा लपेट लिया। अब दोनों की केवल आँखें ही आँखें दिखाई दे रही थीं। .
फिर दोनों स्कूटी से पास की एक दुकान पर गए। उन्होंने दुकान से कुछ दूर पर स्कूटी खड़ी की। दोनों दुकान की ओर दौड़े। उन्होंने बस बीयर की बोतल की तरफ इशारा मात्र किया और दुकानदार को 500 रुपये का नोट पकड़ाया।दुकानदार ने उन्हें एक बीयर की एक बोतल दी और दोनों सहेलियाँ बोतल छीनती हुई सी खुल्ले पैसे लिए बिना ही अपनी स्कूटी की ओर दौड़ पड़ी। दुकानदार उन्हें खुल्ले पैसे लेने के लिए आवाज़ लगाता रह गया। लेकिन दोनों वहाँ नहीं रुकी।फिर सिगरेट लेने के लिए पानवाले की दुकान पर गयी और समान कहानी वहाँ दोहराई गयी ;इस बार उसे 100 रूपये का नोट दिया गया।
नताशा और साक्षी जैसे ही घर पहुँचे,उनके अंदर प्रवेश करते ही आयशा ने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया। उसके बाद तीनों ने पहले सिगरेट जलाई और धूम्रपान करने की कोशिश की, लेकिन तीनों को खांसी होने लगी। तीनों ने फ़ौरन सिगरेट फेंक दी। फिर तीनों एक-एक घूंट बीयर पिया, बीयर तीनों को ही बहुत कड़वी लगी।तीनों मिलकर भी एक बोतल बीयर खत्म नहीं कर सके। तीनों ने 600 रुपये गँवा दिए थे।
आज भी उस वाकिए को याद करके नताशा के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी। साथ ही वह सोच रही थी कि ," हमारे नैतिक नियम इतने दोगले क्यों होते हैं ?जो हमेशा लड़की के लिए कुछ और होते हैं और लड़के के लिए कुछ और। लोकतंत्र में रहने वाले हम लोगों के जीवन में नैतिक लोकतंत्र कब आएगा ?"
