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Dinesh Divakar

Horror Fantasy

3  

Dinesh Divakar

Horror Fantasy

2.0 (4)

2.0 (4)

4 mins
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अब तक आपने पढ़ा वह रोबोट अपने मालिक के मौत का बदला ले रहा था बाकी सभी को वह मार चुका था अब बस एक ही बचा था वह उसे मारने के लिए बढ़ा और राकी के पास भी एक ही मौका था उसे पकड़ने के लिए, अब आगे....

दया - मैं समझा नहीं सर !

राकी - मतलब दया, उसे पकड़ने के लिए फार्मूला नंबर 420 का इस्तेमाल करना पड़ेगा, इसका मतलब इसकी टोपी उसके सर।

इसके बाद वह दया से कुछ बात करते हैं थोड़ी ही देर में सब अपने अपने काम पर लग जाते हैं, दूसरी ओर

एक शानदार बंगला जो क‌ई मंजिला था वह दिखने में बिल्कुल राज महल लग रहा था, उसके अंदर एक आदमी सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहा था ( वह राजेश था रिसर्च सेंटर का मालिक) और उसके पास दस बारह लोग घूम रहे थे मतलब वह उनके बाडीगाड थे , सब चौकन्ने थे तभी वह एक दमदार बाड़ी वाला प्रवेश हुआ जो असल में 2.0 (रोबोट) था उनके ओर बढ़ने लगा।

उन्हें देखकर बॉडीगाड उस पर गोलियां की बौछार कर दी लेकिन उसे कुछ फर्क नहीं पडा और वह आगे बढ़कर सब को मार गिराया और गुस्से से राजेश सहित सोफे को उठाकर पटक दिया, राजेश कराहता हुआ उठा और तब वह रोबोट बोला- क्यो पहचाना मुझे मैं वहीं हूं जो तुम्हारे रिसर्च सेंटर पर आया था लेकिन तूमने मुझे और मेरे मालिक को बाहर निकाल दिया, प्रोजेक्ट कैंसिल हो गया जिससे मेरे मालिक.....

राजेश गिड़गिड़ाते हुए बोला- मुझे माफ कर दो प्लीज़।

माफ नहीं तुम्हें साफ करूंगा, मैं हूं तुम्हारा काल 2.0। वह रोबोट आगे बढ़कर उसे मार डालता है फिर हंसते हुए जाने लगता है तभी पीछे से तालियों की आवाज सुनाई दिया। पीछे मुडकर देखा तो वह राकी था

राकी- वाह, आज मैं ऐसे रोबोट को देख रहा हूं जो ताकत में तो बाहुबली है लेकिन दिमाग से बिल्कुल डफर है।

2.0 - मुझे तुम लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है, अच्छा होगा तुम लोग यहां से चले जाओ।

राकी- और नहीं तो क्या जिन्हें तुमने मारा वो इंसान नहीं रोबोट्स है, असली राजेश ये रहा तभी वहां एक आदमी प्रवेश हुआ जो असल में राजेश था।

राकी का फार्मूला 420, राजेश के जगह उसने उन साइंटिस्टो के रोबोट्स बैठा दिए ताकि वह उसे पकड़ सके और हुआ भी वही वह रोबोट राकी के जाल में फंस गया।

2.0 - मैं तुम्हें मारकर ही रहूंगा राजेश।

वह आगे बढ़ा तभी राकी अपने हाथ में रखे रिमोट के बटन को दबा देता है जिससे वह रोबोट जहां खड़ा था वहां एक लोहे का जाल बिछ गया और उसके अंदर आग और करंट लगना शुरू हो गया जिससे वह रोबोट पिघलने लगा।

दया- सर मिशन 420 इज कम्प्लीट।

राकी - हां दया, अच्छा हुआ ये केश खत्म हो गया वरना मेरी होनी वाली हिटलर आ जाती इसे खत्म करने के लिए हां हां हां।

राजेश- थैंक यू सो मच आफिसर, आप लोगों की वजह से मेरी जान बच गया।

राकी - अरे नहीं नहीं, ये तो हमारी ड्य्टी है अच्छा अब लोग चलते हैं। आप कहां जा रहे हैं कहानी अभी खत्म नहीं हुआ है।

जैसे ही राकी और उनकी टीम जाने लगता है तभी पीछे से वह रोबोट उस लोहे के जाल से बाहर निकालता है जिसका शरीर पिछला हुआ आग की लपटो से जलता हुआ आंख कान मुंह सब टूटा फुटा गुस्से से बाहर निकाला और एक ही झटके में राजेश के सर को फोड़ डाला और मुस्कुराते हुए वापस उस आग की लपटो में चला गया।

इधर राकी जल्दी से राजेश को बचाने के लिए दौड़ा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था, राकी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के लिए कहता है जिससे राकी और दया के अलावा सभी चले जाते हैं राकी दया को कमरे की तलाशी करने के लिए बोलता है।

सभी कमरे की तलाशी के बाद एक आखिरी कमरे की तरफ राकी बढ़ता है दरवाजा खोलने पर उसकी आंखें चौंधिया जाता है क्योंकि वहां हीरे-जवाहरात और सोने चांदीयो से भरे थे और जो राजेश गुप्त तरीके से रोबोट्स के जरिए जमीन से निकालता था।

दया- इतना सारा खजाना राजेश के पास, हमें भारत सरकार को बताना चाहिए।

राकी - दया दया तुम्हें पता है मेरी मां क्या कहा कहती थी।

दया- क्या सर !

राकी- यही कि तू कैसे जीएगा ये तो मुझे पता नहीं लेकिन मरना सबसे बड़ा आदमी बनकर।


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