08 जून 2021
08 जून 2021
बहुत गहरी घरी नींद आई। शायद ड्रिप में नींद की दवा मिलाई गई थी। डॉक्टर चंद्रा के जगाने पर आँख खुली। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि मुझे कम से कम कल तक अस्पताल में रहना है। कल ही डायलिसिस के लिए किए गए ऑपरेशन की बैन्डेज भी खोल दी जाएगी।
डॉक्टर के जाते ही सीमा और शहला कमरे में आए। उन्हें देख कर मैंने अचरज से पूछा, "तुम लोग कब आए?" शहला ने उत्तर दिया, "हम लोग बहुत देर से आए हुए हैं। डॉक्टर के आने पर हम लोग बाहर चले गए थे। हम लोगों को सौरभ भय्या ने फ़ोन करके बुलवाया था। हमारे आने के बाद वह चले गए। अनुष्का भाभी भी हम लोगों के साथ आई हैं। अनुभव भय्या ने हम लोगों को यहाँ पहुंचाया है।"
मेरे पूछने पर कि अनुष्का कहाँ है उन्होंने बताया की वह दोनों आप के लिए कोई इन्जेक्शन ढूंढने गए हैं।
शहला और सीमा को देख कर बहुत अच्छा लगा। मेरे लिए शहला और सीमा एक बराबर हैं। शहला ने भी मुझे कभी राहत से कम नहीं समझा। दोनों की भोली सूरत देख कर मुझे एक पुरानी घटना याद आ गई और मन दुखी हो गया। जिस समय यह दोनों कक्षा नौ में थीं इन्हें बास्केट-बॉल खेलने का शौक़ हुआ। मैंने इन लोगों का नाम एल.डी.ए. स्टेडियम में लिखवा दिया। एक दिन मैं स्टेडियम के पास से गुज़र रहा था कि देखा कि यह दोनों स्टेडियम के बाहर चार पाँच लड़कों के झुंड में खड़ी हंसी ठिठोली कर रही हैं। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ दोनों को सब के सामने एक एक थप्पड़ मारा और अगले दिन से इनका स्टेडियम जाना बंद कर दिया। शहला की इतनी भी हिम्मत न हुई कि वह यह बात राहत या बिरजीस आंटी को बताती। मैंने ही उन लोगों को यह बात बताई।
मैंने दोनों को पास बुलाया और दोनों के गाल थपथपाए। मैं भावुक हो गया मेरी आँखों में आँसू आ गए। सीमा ने टिशू पेपर से मेरे आँसू पोंछे। शहला भी भावुक होकर बोली, "भय्या आप तो ऐसे न थे। आप हम लोगों को रुलाना चाहते हैं क्या?"
मैं उसे क्या बताता की विवशता सब से पहले मन को निर्मल करती है। मैं यह सब सोच ही रहा था कि अनुभव और अनुष्का आ गये। दोनों के आते ही अपनत्व के माहौल में कसावट आ गई। अनुभव और शहला बेड पर अग़ल बग़ल बैठ गए। अनुष्का एक कुर्सी पर इस प्रकार बैठी थी कि अनुभव की पीठ उसकी ओर हो गई थी। सीमा मेरे सिरहाने की कुर्सी पर बैठी थी। मैं उसका चेहरा नहीं देख सकता था। वह नहीं चाहती थी की अनुभव की उपस्थिति में उसके भावों में आने वाले परिवर्तन मुझपर उजागर हों। मुझसे छुपा नहीं था कि अनुभव चोर नज़रों से सीमा को बार बार देखने की कोशिश कर रहा है।
मुझे लगा कि सीमा चाहती है कि उसकी उपस्थिति को नज़र अंदाज किया जाए इस लिए मैंने शहला से पूछा, "तुम लोगों के एड्मिशन का क्या हो रहा है?"
भय्या हम लोगों ने ऑनलाइन विषय चयन करने की कोशिश की थी किन्तु विषय के ग्रुप समझ में नहीं आए। आज से लॉक-डाउन खुल रहा है। अनुभव भय्या के साथ हम लोग विश्वविद्यालय जाएंगे। वहीं सब बातें पता करेंगे।
अनुभव के सामने मैं यह कह नहीं सकता था कि यह काम तुम लोग स्वयं भी कर सकते हो अनुभव के साथ जाने की क्या आवश्यकता।
मैंने कहा तुम लोग आई. टी. या किसी दूसरे गर्ल्स कॉलेज से भी पता कर सकते हो।
अनुष्का बोली, "लेकिन यूनिवर्सिटी में कॉमबीनेशन अधिक होते हैं।"
शहला ने उत्तर दिया। भय्या भी यही चाहते हैं। वह कह रहे थे कि विश्वविद्यालय में केवल फैशन और नकशेबाज़ी होती है, कोई पढ़ाई लिखाई नहीं होती है। वह चाहते हैं की हम लोग आई. टी. या करामात गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश लें।
राहत को अनुष्का का अनुभव के साथ घूमना अच्छा नहीं लगता था। यह बात अनुष्का जानती थी। इसी कारण वह राहत को पसंद नहीं करती थी। राहत के परामर्श पर अनुष्का ने हँसते हुए कहा, "हाँ हाँ क्यों नहीं। करामत में पढ़ो, खुन-खुन जी में पढ़ो और बहन जी बन कर निकलो।" मुझे छोड़ सभी उसकी बात पर हंस दिए।
इतने में अनुभव का मोबाईल बजा। उसने मोबाईल कट कर के कहा, "मुझे एक जगह जाना ज़रूरी है। मैं तुम लोगों को घर पहुँचा दे रहा हूँ। एडमिशन के विषय में आराम से सोच लेना।" शहला ने मेरा हाथ दबाया। सीमा ने मेरी ठुड्डी छूई और दोनों अनुभव के साथ बाहर निकल गए।
अनुष्का ने दरवाजा बंद किया और कुर्सी खींच कर मेरे पास बैठ गई। वह मेरे हाथ पर अपना चेहरा रख कुछ देर यूँ ही बैठी रही फिर पूछा, "डॉक्टर ने क्या कहा?"
"उनके हिसाब से सब ठीक है। मैं कल घर जा सकता हूँ।'
"शुक्र है भगवान का।"
उसकी नज़र पेशाब की थैली पर पड़ी।
"अरे इसमें तो बहुत खून है?"
"हाँ डॉक्टर से मैंने पूछा था। डॉक्टर का कहना है की यह ऑपरेशन का फ़ालतू ख़ून है। चिंता की कोई बात नहीं। आज रात को कैथेटर भी हट जाएगा।"
"यह तो अच्छी बात है।"
"लेकिन डॉक्टर ने तुमसे दूर रहने के लिए कहा है। किसी भी प्रकार की उत्तेजना मेरे लिए हानिकारक हो सकती है।"
वह शरमाते हुए और बनावटी ग़ुस्से से बोली, "मेरा वह मतलब नहीं है। उसके लिए पूरा जीवन पड़ा है। मेरा मतलब है कि अब आप थोड़ा बहुत चल फिर सकेंगे।"
मेरा मन उसे छूने को कर रहा था। मैंने उससे कहा, "थोड़ी देर के लिए अपना चेहरा मेरे चेहरे पर रख दो।"
उसने अपनी कुर्सी दूर कर ली और बोली, "नहीं। आप संयम से काम लीजिए। अगर मैं आप के बहुत निकट आई तो आप स्वयं पर नियंत्रण खोने लगेंगे और डॉक्टर के परामर्श का उल्लंघन होने लगेगा।"
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि वह मेरे हित में मुझसे दूर हटी थी या अपने हित में। मेरे निकट आने से उसे जो निराशा हो सकती है और जो मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ सकता है, उसका अनुभव वह तीन दिन पहले कर चुकी थी।
अनुभव को लेकर मेरे मन में शंकाएं जागने लगीं।
आज रात अनिल सोने आया है। नर्स मेरा तापमान और ब्लड-प्रेशर लेकर जा चुकी है। अब मैं सोने जा रहा हूँ।

