ज़ुदा जिन्दगानियाँ
ज़ुदा जिन्दगानियाँ
एक ज़ुनून सा छाया है
दिल पर अब तेरा,
एक सुक़ून सा मिलता है
तेरा बन रहने में।
जिंदगियां हमारी
ज़ुदा ही सही,
एक नशा सा है
जज़्बातों में बहने में।
जानती हूँ कि ऐसा
नहीं हो सकता है फिर भी,
एक ग़ुरूर सा लगता है
तेरा मुझे अपना कहने में।
दो पल का साथ ही हो
तेरे इन्तज़ार का अंज़ाम,
ताउम्र लाज़िमी है
दर्द तेरे लिए सहने में।

