ज़िंदगी
ज़िंदगी
ज़िंदगी ए ज़िंदगी ए ज़िंदगी
साथ अपना भी निभाए ज़िन्दगी।
जो हमारा है हमारा ही रहे
दूरियाँ चाहे न मिटाए ज़िन्दगी।
हमसफ़र बनकर तू आना मेरे लिए
इश्क़ तुमसे ही फ़रमाए ज़िन्दगी।
इश्क़ में बरकत होगी जब भी मेरे
दिल के पत्थर पिघलाएं ज़िन्दगी।
दिल धड़कता है मेरा दिल में तेरे
जिस्मों-रूह पे हक जताए ज़िन्दगी।
मन से मन मिल ही गया अब क्या करूँ
क्यूँ ग़जल में मेरी समाए ज़िन्दगी।
रूबरू आकर पढ़ो आँखें मेरी
बेबसी के दिन दिखाए ज़िन्दगी।
जिसे चाहो वो नहीं मिलते कभी
क्या बताऊँ क्यों सताए ज़िंदगी।
दिल के सब जज़्बात दिल में रह गए
"नीतू"पे सितम न ढाए ज़िन्दगी।