ज़िन्दगी जीने का हक़।
ज़िन्दगी जीने का हक़।
बेटियों की ज़िंदगी का सोचो
कितनी बदनसीब होती हैं ना,
अपने घर मे एक उम्र तक रहती हैं
और सिर्फ एक ही ताना सुनतीं हैं,
कि ये तो पराई हैं
इसने परायों के घर मे ही जाना है,
ससुराल जातीं हैं तो एक ताना सुनतीं हैं
की ये तो पराई हैं, पराये घर से आई हैं ,
बेटियों को भी खुलकर
उनकी अपनी ज़िंदगी जीने का मौका दो,
और ऐसे घटिया ताने सुनाकर
उन्हें बेइज़्ज़त मत करो,
जैसे अपनी माँ और बहन की
इज़्ज़त करते हो न
वैसे ही उनकी भी इज़्ज़त करो,
ये जहां रहतीं हैं वहां के आंगन में
हर बच्चा खुश रहता है,
सभी की इच्छाओं को पूरा करने में
ये अपना पूरा जीवन बिता देती हैं,
सभी को खुश रखने में
ये खुद अंदर से टूट जातीं हैं,
पर कभी इन्हें भी
अपनी ज़िंदगी जीने का मौका दो,
जो आप सभी की खुशियों के लिए
खुद आप सभी के दुख हँस कर सहन कर जाती हैं।
कभी इन्हें भी अपनी ज़िंदगी
खुलकर जीने का मौका तो दो।
