युवा भारत
युवा भारत
था कभी जो न्यारा भारत,शांति का प्रतीक था
अपने लक्ष्य की ओर,उजागर था सटीक था,
आज ये कैसी अशांति पनपा रहा है युवा भारत
भटक रहा क्यूँ लक्ष्य से , ये तो न था मेरा भारत।
मैं बुजुर्ग इन आँखों से जब देखता हूँ युवा भारत,
सोच में पड़ जाता हूँ ,क्या यही है जन्मा ये युवा भारत?
हिंसा तो खून में मिल चुकी,भ्रष्टाचार से जेबें सिल चुकीं,
मुँह पर नोटो के ताले हैं कहते ये, इंडियावाले हैं।
अरे, नुक्कड़ नुक्कड़ गली गली में बिक रहा है ईमान जिसका,
चंद कागज़ी टुकड़ो से कसा हुआ है बदन जिनका,
क्या यही मिसाल कायम करेगा , क्या पड़ी रहेगी ये आदत,
मैं सोच में पड़ जाता हूँ क्या यही है मेरा युवा भारत।
आपसी भाईचारा तो किताबो का किस्सा है,
पहचान मांग कर , बंट रहा देश का हिस्सा है,
अस्मत लुट रही बच्चियों की यहाँ सरेआम है
दूसरों की लड़ाई में हाथ सेंकना, क्या यही सबका काम है?
कहाँ गया वो जज़्बा भगतसिंह सा, देश पर मर मिटने का,
कैसे मिलेगा देश को कोई महाराजा रणजीत सिंह सा,
मुँहबोली नाते सी देशभक्ति हो गई , हवा में हुई मिलावट,
मैं सोच में पड़ जाता हूँ क्या यही है मेरा युवा भारत।