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Manpreet Makhija

Others

5.0  

Manpreet Makhija

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सखी बसन्त आयो री

सखी बसन्त आयो री

1 min
310


मौसम सुहाना लगता है

प्रिय मिलन का बहाना

लगता है

पंछी गाते मधुर गीत

सभी बुलाते अपने मीत

हर्षित हर मन ने

साज़ कोई बजायो री

सखी, बसन्त आयो री


मस्त पवन भी हुई है चंचल

कभी हो निर्मल, कभी हो शीतल

पीले पीले फूलों संग

खेत का आँचल लहरायो री

सखी, बसन्त आयो री


शाख़ पर फूले नए पत्ते

आशा से जीवन भर देते

खट्टी मीठी बेरी से लताओं ने

अनुभव का संदेश दोहरायो री

सखी, बसन्त आयो री


कितना सुंदर है ये नज़ारा

जैसे कोई जादू का पिटारा

प्रफुल्लित हो गया जग सारा

कुहू गाये मीठा मल्हार

कण कण में उमड़ रहा है प्यार

कुदरत पर छाया नया निखार

मानो कोई उत्सव आयो री

सखी, बसन्त आयो री



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