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यूँ तो

यूँ तो

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यूँ तो सागर हैं हम

मन से खारे नहीं

हमें ना समझो गैर

अपनों से कम नहीं।


हम देंगे साथ हरदम

साया से कम नहीं

साया भी छोड़े साथ

ऐसे इन्सान हम नहीं।


बोलते है बेधड़क

कड़वे जुबान से नहीं

हल्दी की तरह करते हैं काम

दूध में नमक जैसे नहीं।


जान न्यौछावर करते हैं

जानलेवा हम नहीं

दोस्त की दोस्ती की कसम

दुश्मन हम किसी के नहीं।


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