STORYMIRROR

Kishor Zote

Abstract

3  

Kishor Zote

Abstract

सच

सच

1 min
252

फटी जेब करा देती

एहसास सच्चाई का

कौन अपना-पराया

इंतहान मानो खुद का


सच यही है आज का

पैसा ही सबकुछ है

खाली जेब रहो तुम 

कोई नहीं पहचानता है


जेब खाली हो या फटी

हालत एक जैसी ही है

ना पैसा तुम्हारे पास तो

कोई नजदीक नहीं आता है


पैसों की इस होड़ में

हर काई खो जाता है

जेब अगर रहे गरम तो

वही भगवान हो जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract