यूँ ही नहीं सुनाई देती
यूँ ही नहीं सुनाई देती
मेरे दिल में कहीं तू छुपा है पिया,
मुझे यूँ ही नहीं सुनाई देती ये बाँसुरिया।
बात दिल की तो दिल तक ही रहनी चाहिए,
फिर भी सबको बताने को करता है जिया।
पास नहीं फिर भी नैन निहार रहे तुम्हें,
मुझ पर ये कैसा जादू किया साँवरिया।
निकली में तो, जाने को तुम्हारी गली,
पीछे छूट गई अब ,ये सारी नगरिया।
चलने को मिली, कंटकों से भरी पथरीली,
फिर भी पूरी राह, बजती रही पायलिया।
अंधेरों के घने-काले बादल छँट गए,
सुलझने लगी जिंदगी की सब पहेलियाँ।
बातें ये सब कहाँ लब्जों ने बताई है,
मेरे दिल का हाल सुना गई ये अखियाँ।

