यूं ही जीवन का सफर
यूं ही जीवन का सफर
यूं ही कट जाता है जीवन का सफर कुछ कहता नहीं
यूं ही पूरा हो जाता है जीवन कि कुछ पता चलता नहीं
जीवन में सूखा सा रहा जो सुख का सावन
यूं ही कब बरस जाये कि कुछ पता चलता नहीं।
यूं तो जिन्दगी में जो मिलता है वो भाता नहीं
अगर भा भी जाए तो ऐसा है कि वो सदा रहता नहीं
यूं आना जाना लगा रहता है, ठहरना इसकी आदत नहीं
यूं ही अगर ठहर जाये तो फिर कहीं ये सफर रहता नहीं।
यूं तो नैनों में रखना चाहे सुन्दर सा बसंत
इस बंसत का ना चाहते हैं कि कभी हो अंत
यूं आकर्षक बंसत कितने आकर हो जाते नष्ट
यूं ही बसंत से पहले हर बार होता है पतों का अंत।
यूं ही तो बिछोह होता किसी का प्रियतम से
इस प्रिय का कसूर क्या है कि साथ छूट जाता
यूं ही प्रिय का अप्रिय बन दगा दे जाना
यूं ही ये यौवन का सफर कुछ क्षणों में ही कट जाता।
यूं ही जीवन में निराशा के बादल बहुत बरसते हैं
यूं ही जीवन में आशाओं के बादल बहुत बरसते हैं
यूं ही अभावों में आज भाव किसी को नहीं मिलता है
यूं ही भावों में कभी अभावों का उदय हो नहीं पाता है।
यूं ही कट जाता है जीवन का सफर जो रुकता ही नहीं
यूं ही यादों का सफर आंखों को हर बार भिगो जाता है
यूं ही इस जीवन का झरना निरंतर झरता नहीं
यूं ही ये जीवन का सफर समुद्र है कि जो कभी भरता नहीं।
यूं ही इस जीवन के सफर को ढोते जाना है
इस सफर में सब से बिसरते हुए जाना है
ये जीवन का सफर है एक पहेली जनाब
ऐसे ही जीते-मरते और हंसते-रोते गुजर ही जाता है।