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Chetan Gondaliya

Inspirational

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Chetan Gondaliya

Inspirational

युद्ध कर

युद्ध कर

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बंधे हाथ,

झुका सिर,

श्याम वलयावृत्त

नत-निष्प्रभ आँखें,

धुँधला वदन,

सूखा कृष बदन,

"जैसे सिकुड़ गया हो गगन !"

ये तेरा चित्र नहीं है।


उठ ! जाग ! हे सबल ,

चल उठ, जाग जगा महाबल !


निज वास्तविक रूप में प्रकट हो,

चाहे परिस्थितियां कितनी विकट हो,


उठा, शस्त्र संभाल !

फैला भुजाएँ विशाल !


अपने आप को तू सिद्ध कर,

अशुभ का तू वध कर ,

दुबक के क्यों रहा है डर ??


चल, जाग

युद्ध कर, युद्ध कर , युद्ध कर ।


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