योग और हर्ष
योग और हर्ष
सीने से लगाकर ना तो रो पाये ना कंधे से कंधा मिला सके
दूर भले रहे पर दूरी का फ़ासला न क्यू अलग ना कर सके !
ना मालूम क्यू सच्चाई तुम कह सकते हो हम शोर न कर सके
रोए इतना की कई रातें हम ना तो सो सके हम ना जी सके !
ख़त लिखे प्यार से पन्ने भर भर के क्यू फिर भी तुम चुप रह सके
ऐसे मारे मरे आधे कटे अलग हरशांदु और योगेश जी सके !!
पर वो आगे चले तुम वही खडी थम गई रहमी सहमी न मर सके
एहसास है पर मौत भी ना हमें आ सकी सोचा न था अक्सर
यू औक़ात लोग दिखाए और तुम ख़ामोश प्रभु रह सके ??
बच्चे मेरे दिल के टुकड़े जिगर से अलग ना कर सके ना हम जी
सके क्या आराम से योगेश उत्कल अक्षय मेरी साँसो से अलग
आप सब जी सके !! मजबूर निर्बल अब नहीं ये साबित कर सके !!
क्या एक दिन हम फिर कही दिल से मिल सकेंगे ?
कह दो ना झूठ ही सही सुकून तुम पा सके !!