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Manju Saini

Tragedy

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Manju Saini

Tragedy

शीर्षक:स्नेनिल बौछार

शीर्षक:स्नेनिल बौछार

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आपके स्नेह की शीतलता से मन मानो शांत था

आपके आलिंगन की छुवन तपिश खत्म करता था

यादो की उष्णता से आज मन विचलित होता हैं

पापा आपके स्नेहनिल प्रेम की बौछार खो सी गई है


आनन्दित पल आज भी बहार बन खुशियां दे जाते हैं

अन्तःकरण मे मानो आज भी खुशियां भर जाती हैं

शीतल आभा लिए आपका अंक तलाशती हूँ

पापा आपके स्नेहनिल प्रेम की बौछार खो सी गई है


नयनो में आज भी छवि अलंकृत हैं आपकी

चलचित्र पटल पर आकृति उकेरित हो आपकी

अमित छाप जो बसी हैं मेरे अंतःकरण में

पापा आपके स्नेहनिल प्रेम की बौछार खो सी गई है


आपजे स्नेह से रिक्त मानो टूट सी गई हूँ मैं

लगता हैं वर्षो से विश्राम ही नही मिला जैसे मुझे

दिए कि लौ सा प्रेम बुझे दीपक की बाती हुआ

पापा आपके स्नेहनिल प्रेम की बौछार खो सी गई है।


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